
टिहरी
‘न्याय की देवी'(Goddess of justice)का स्वरूप बदला
माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय के निर्णय का स्वागत
माननीय सुप्रीम कोर्ट में ‘न्याय की देवी’ वाली प्रतिमा में बड़े बदलाव कर माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय ने देश भर में व्यापक संदेश दिया है, जो स्वागत योग्य है।
न्याय की देवी के आंखों से काली पट्टी हटा दी गई है ।
हाथ में तलवार की जगह “भारत के संविधान की किताब”रखी गई है ।
तराजू को पूर्व की भांति यथावत रखा गया है ।
,,,न्याय की देवी(Goddess of justice) 17वीं शताब्दी में एक अंग्रेज न्यायिक अधिकारी द्वारा यूनान से भारत लाई गई थी, यह यूनान की देवी थी जिसे हमने आजादी के साथ अपना लिया था। चूंकि हमारे संविधान में बहुत सारे प्राविधान विभिन्न देशों से लिए गए है।
वर्तमान मे न्याय की देवी के हाथ से तलवार को हटा कर संविधान की किताब रखी गई है, अर्थात् न्यायालय ओर संविधान का तलवार यानी हिंसा पर भरोसा नहीं है, बल्कि संविधान पर भरोसा है।भारत में संविधान ही सर्वोच्च है। और क़ानून अंधा नहीं है, इसीलिए पट्टी हटा दी गई है, यद्यपि पहले भी पट्टी का यहीं अर्थ था कि क़ानून किसी व्यक्ति विशेष को देख कर न्याय नहीं करता है, और हटाने के बाद भी क़ानून सबको समान रूप से देखकर ही संविधान सम्मत निर्णय लेता है।