
उत्तराखंड
मूल निवास, सशक्त भू कानून के लिए आंदोलन,पुलिस ने मोहित डिमरी को शहीद स्मारक जाने से रोका
सशक्त भू-कानून और मूल निवास की मांग को लेकर आमरण अनशन करने की तैयारी में मूल निवास, भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी को पुलिस ने रोक दिया। पुलिस ने शहीद स्मारक के गेट पर ताला भी लगा दिया है। मोहित ने निर्णय लिया है कि वह शहीद स्मारक के गेट के बाहर ही भूख हड़ताल शुरू करेंगे। मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने आज मंगलवार से शहीद स्मारक पर आमरण अनशन शुरु करने का एलान किया था। समिति को महिला मंच और राज्य आंदोलनकारी मंच सहित कई संगठनों ने अपना समर्थन दिया है। समिति का कहना है कि भूमि कानूनों में हुए संशोधनों को रद्द किया जाए। इसके साथ ही निवेश के नाम पर दी गई जमीनों का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार मजबूत भू-कानून को लेकर गंभीर नहीं है। सरकार बजट सत्र में भू-कानून लाने की बात कर रही है, लेकिन किस तरह का भू-कानून सरकार लाएगी, स्थिति स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि 2018 के बाद भूमि कानूनों में हुए सभी संशोधनों को अध्यादेश के जरिये रद्द किया जाय।
पुलिस द्वारा शहीद स्मारक के मुख्य गेट पर लगाया गया ताला
पुलिस द्वारा शहीद स्मारक के मुख्य गेट पर ताला लगाने के बाद मोहित डिमरी और संघर्ष समिति से जुड़े लोगों ने शहीद स्मारक के मुख्य द्वार के बाहर भूख हड़ताल शुरू कर दी है. संघर्ष समिति ने आज से अपनी मांगों को लेकर शहीद स्मारक पर भूख हड़ताल का ऐलान किया था. मोहित डिमरी का कहना है कि सरकार को भूमि कानून में हुए संशोधनों को तत्काल रद्द करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष समिति से जुड़े लोग आज शहीद स्मारक पर आमरण अनशन पर बैठने जा रहे थे. लेकिन शहीद स्मारक के गेट पर ताला जड़ दिया गया है.
भूख हड़ताल को समर्थन देने पौड़ी से पहुंचे लोग:
इधर मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति को अपना समर्थन देने पौड़ी जनपद से पहुंचे रिटायर सैनिक सुरेश पयाल दूल्हे के गेटअप में नजर आए. उन्होंने राज्य में मूल निवास और भू कानून लागू किए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति, प्रकृति और परंपराओं का संरक्षण तभी संभव हो पाएगा, जब राज्य में सशक्त भू कानून लागू होगा. पयाल का कहना है कि 50 साल पुराना उत्तराखंड अब नहीं रहा. अगर प्रदेशवासियों को पहले जैसा उत्तराखंड चाहिए, तो सबको मिलकर उत्तराखंड में मजबूत भू कानून लागू किए जाने की मांग उठानी चाहिए.