
कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 मे भारतीय वेटलिफ्टर्स ने एक के बाद एक पांच मेडल भारत को दिलाए हैं। मीराबाई चानू, बिंदियारानी देवी, संकेत सरगर और गुरुराजा पुजारी के बाद 19 साल के जेरेमी लालरिनुंगा ने भारत को पदक दिलाया है। उन्होंने पुरुषों का 67 किग्रा कैटेगरी में शानदार प्रदर्शन किया और भारत को दूसरा गोल्ड दिलाया। कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले जेरेमी ने साल 2018 में यूथ ओलंपिक में गोल्ड जीता था। तब वह सिर्फ 15 साल के थे। वह राष्ट्रीय स्तर के पूर्व मुक्केबाज लालनीहटलुआंगा (Lalneihtluanga) के बेटे हैं। जेरेमी ने अपने पिता के मार्गदर्शन में मुक्केबाजी की प्रशिक्षण शुरू की थी, लेकिन फिर उन्होंने भारोत्तोलन में अभ्यास शुरू किया और देश का गौरव बढ़ा रहे हैं।
मिजोरम की राजधानी आइजोल में 90 के दशक की शुरुआत में बॉक्सिंग सर्किट में लालनीहटलुआंगा (Lalneihtluanga) एक जाना-पहचाना चेहरा थे। उन्होंने अपने समर्पण और जुनून से राष्ट्रीय स्तर पर जगह बनाई और कई पदक जीते, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण आगे नहीं बढ़ पाए। अब उनका सपना बेटा पूरा कर रहा है। लालरिननुंगा के पिता अपने परिवार का मदद करने के लिए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में नौकरी करना शुरू किया।2018 में द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, लालनीहटलुआंगा ने खुलासा किया था कि प्रति दिन 370 रुपये का वेतन मिलने के बावजूद, उन्होंने अपने बेटे का खेल में आगे बढ़ने के लिए समर्थन किया। लालरिननुंगा अपने पिता की तरह मुक्केबाज बनना चाहते थे, लेकिन स्टेट एकेडमी में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भारोत्तोलन में करियर बनाया। एकेडमी में उन्होंने बांस और पानी के पाइप से महज 9 साल की उम्र में प्रशिक्षण शुरू कर दिया था। इसके बाद उन्हें पुणे में सेना के खेल संस्थान में प्रशिक्षण के लिए चुना गया था।
कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में जेरेमी ने पुरुष 67 किग्रा वर्ग में दबदबा बनाते हुए कुल 300 किग्रा (140 किग्रा और 160 किग्रा) वजन उठाया। उन्होंने समोआ के वेइपावा नीवो इयोन 293 किग्रा (127 किग्रा और 166 किग्रा) और नाइजीरिया के इडिडियोंग जोसेफ उमोआफिया 290 किग्रा (130 किग्रा और 160 किग्रा) को पछाड़ा जिन्हें क्रमश: रजत और कांस्य पदक मिला।