
बहुत समय बाद दिवाकर भट्ट जी से आज मिलने जा पाया, वह काफी समय से अस्वस्थ चल रहे हैं। खुशी की बात है कि स्वास्थ्य में काफी सुधार हो रहा है और शीघ्र ही उत्तराखण्ड के पैरोकारी में एक दमदार आवाज की उम्मीद !
पुरानी बातें भी, एक 1994 की जब वह शिवसेना के सालाना जलसे के अतिथि बने थे। वैचारिक सहमति और असहमति, संघर्ष अपनी जगह। कुछ लोग ही इतिहास बनाते हैं। बाल ठाकरे उनमें से एक हैं।,,, रहे हैं, हम इन्हें ऐसा नहीं कह सकते हैं। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री भूतपूर्व हो जाते हैं। उद्धव ठाकरे भी भूतपूर्व मुख्यमंत्री हैं।
सभी उत्तराखण्ड आंदोलनकारियों को बम्बई से निकलने वाली ‘हिलांस’ पत्रिका और संपादक अर्जुन सिंह गुसाई का नाम स्मरण तो याद होना चाहिए। ,,
बाला साहेब ठाकरे ने , भट्ट जी को क्या कहा,’ उत्तराखण्ड राज्य बनाने के लिए मैं पूरी मदद करने को तैयार हूं। ,,, लेकिन हथियार उठाने से सिर्फ हिंसा होगी।.
हमें तो उत्तराखण्ड राज्य चाहिए। हर हाल में।, वह तो मिल गया है।
“हां, आज सवाल उत्तराखण्ड को बचाने का है।’
सामने, केंटुकी होते हुए गोवा का बीफार्थी समान नागरिक कानून देवभूमि को वनंत्रा पतनाला बनाने की कोशशें हैं।
शक है ?