समाज के लिए प्रेरणा बनी गुड्डी देवी, हौसला दिखाते हुए बच्चों के साथ दे रहीं 10वीं की परीक्षा

उत्तराखंड

पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती बस प्रेरणा मिलनी चाहिए। चाहे कहीं से मिले गुड्डी देवी को यह प्रेरणा अपने बच्चों से मिली।पहाड़ की महिलाओं की जिदंगी पहाड़ की तरह कठिनाई से भरे होते हैं। आठवीं के बाद पारिवारिक कारणों ने पढ़ाई नहीं कर पाई गुड्डी शादी के बाद घर-गृहस्थी में ऐसी फंसी कि बीस साल तक वह किताबों को सिर्फ अपने बच्चों के बस्तों में और उनकी पढ़ाई की टेबल पर ही देखती रही।लेकिन कुछ महिलाएं अपनी दृढ़ इच्छा को पूरा करने के लिए प्रयासरत रहती हैं और समाज के लिए प्रेरणा बनती हैं। ऐसा ही कुछ करके दिखा रही हैं चमोली की भेटी गांव निवासी गुड्डी देवी। जो अपने बच्चों के साथ बोर्ड परीक्षा दे रही हैं। गुड्डी ने थराली ब्लॉक के रतगांव से आठवीं की परीक्षा वर्ष 1996 में पास की थी। बाद में शादी हो गई और पारिवारिक कारणों से पढ़ाई नहीं कर पाई। लेकिन बच्चों ने जब मां के अंदर पढ़ने की इच्छा देखी तो मां का सपना पूरा करने के लिए खुद भी मां को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया और परीक्षा देने के लिए तैयार किया।

गुड्डी देवी

इस साल गुड्डी उत्तराखंड बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा दे रही हैं। गुड्डी देवी मिनी आंगनबाड़ी भेंटी में भी काम कर रही है। परिवार में पति शिवपाल और दो बेटे हैं अंशुल और अंकुश। बड़ा बेटा अंशुल (18 साल) इंटरमीडिएट और छोटा बेटा अंकुश (17 साल) दसवीं की परीक्षा दे रहा है। भेंटी गांव से जीआईसी बांजबगड़ करीब पांच किमी दूर है। दोनों बच्चे यहीं पढ़ने आते हैं। परीक्षा केंद्र भी इसी विद्यालय में बनाया गया है। अब मां अपने दोनों बेटों के साथ परीक्षा देने आते हैं। इसको लेकर शिक्षा विभाग भी काफी खुश है और मां और बच्चों की इस प्रेरणा को समाज के लिए आईना बता रहे हैं।गुड्डी देवी ने बताया कि इतने सालों से वह स्कूल से दूर रहीं। ऐसे में पहले दिन पेपर देने के लिए आते समय वह कुछ नर्वस थीं। बच्चे लगातार प्रेरित कर रहे थे। पहला पेपर पूरा होने पर काफी अच्छा लग रहा है।

Epostlive.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *