सफलता की जगह सेवा की तस्वीर – विक्रम बिष्ट

टिहरी

(इसे कहां-कहां से हटाओगे !)
मोहनदास करमचंद गांधी को सन् 1944 में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने सर्व प्रथम सिंगापुर रेडियो से राष्ट्रपिता संबोधित किया था।
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि, ” भविष्य की पीढ़़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति कभी इस धरती पर चला होगा।
अपने कक्ष में महान वैज्ञानिकों की जगह गांधी की तस्वीर पर आइंस्टीन ने ही कहा था , ” सफलता की जगह सेवा की तस्वीर” ।
अमेरिका के मानवाधिकार आंदोलन के महान नेता मार्टिन लूथर किंग ने महात्मा गांधी के रास्ते को अपनाया था। अप्रैल 1968 में गोली मारकर उनकी हत्या भी उसी नीग्रो समुदाय के उग्रवादी ने की थी, जिनको न्याय दिलाने के लिए किंग जूनियर आजीवन अहिंसक संघर्ष करते रहे थे। वह गांधी को गुरु और भारत को तीर्थ मानते थे । उनके अध्ययन कक्ष में भी सिर्फ एक तस्वीर थी- महात्मा गांधी की।
हत्या के बाद उनके पार्थिव शरीर को किंग की पत्नी कोरेट्टा ने गांधी की तस्वीर के सामने लिटाया और कहा, हे गुरु, तुम्हारे इस शिष्य ने जीवन भर तुम्हारे दिखाये मार्ग का अनुसरण किया और अंत में उसी गोली की मार से अपने प्राण त्याग दिए, जिसने तुम्हारे प्राण लिए थे।
नेल्सन मंडेला ने गांधी की राह चलते हुए दक्षिण अफ्रीका को श्वेत नस्लवादी शासन से मुक्ति दिलाई। उन्हें दक्षिण अफ्रीका का गांधी कहा जाता है। खान अब्दुल गफ्फार को सीमांत गांधी के नाम से जाना जाता है। आज विश्व बारूद के सबसे खतरनाक ढ़ेर पर खड़ा है, गांधी की ज्यादा जरूरत है।

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