पिंगली वेंकैया – जिन्होंने हमारे भारत का राष्ट्र ध्वज तिरंगा बनाकर गौरव बढ़ाया, जानिए उनकी जिंदगी से जुड़ी अहम बातें

उत्तराखंड

आज भारत के राष्ट्रीय ध्वज की रूपरेखा तैयार करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी स्व. पिंगली वेंकैया की जयंती है। पिंगली वेंकैया जी द्वारा अभिकल्पित तिरंगा आज भारत के गौरव, अखंडता व शक्ति का परिचायक है। इस तिरंगे ने समूचे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोया है जिसकी आन-बान और शान को बढ़ाने के लिए देशवासी निरंतर कटिबद्ध रहते हैं। ऐसे में राष्ट्रीय ध्वज को स्वरूपित करने वाले ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी वेंकैया की जयंती पर देश उन्हें याद कर नमन कर रहा है।

05 वर्ष तक किया था अध्ययन
पिंगली वेंकैया ने साल 1916 से लेकर 1921 तक दुनियाभर के देशों के झंडों का अध्ययन किया था। इसके बाद साल 1921 में उन्होंने भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का निर्माण किया था। इसे बनाने का उद्देश्य देश के सभी लोगों को एक साथ जोड़ने का था। ताकि स्वतंत्रता के लिए पूरे देश को एकजुट किया जा सके। 

गांधी जी का चरखा स्थापित था
वर्ष 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में महात्मा गांधी ने पिंगली वेंकैया द्वारा तैयार किए गए एक झंडे को स्वीकृति दी थी। इस झंडे में लाल और हरे रंग की पट्टी थी और इसके बीचों-बीच गांधी जी का चरखा स्थापित था। महात्मा गांधी के सुझाव पर ध्वज में सफेद रंग भी शामिल करवाया गया। साल 1931 तक कांग्रेस की हर बैठक में इसी झंडे का प्रयोग होता रहा था। इसके बाद इस झंडे के वर्तमान रंग (केसरिया, सफेद और हरा) सामने आए थे। इसमें आगे चलकर अशोक चक्र को भी जोड़ा गया। 

जापानी भाषा के थे जानकार
पिंगली वेंकैया जापानी भाषा के काफी जानकार शख्स थे। वह इस परिपक्वता से जापानी बोलते थे कि लोग उन्हें जापान वेंकैया के नाम से भी पुकारते थे। हलांकि, बहुत कम लोग जानते हैं कि पिंगली एक जियोलॉजिस्ट थे और उन्होंने आंध्र प्रदेश नेशनल कॉलेज में लेक्चरर के तौर पर भी काम किया था। वहीं, अपनी युवा आयु में पिंगली ने ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सिपाही के तौर पर दक्षिण अफ्रीका में भी काम किया था। यहीं पिंगली गांधी के विचारों से बेहद प्रभावित हुए।

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