भौंकुछ – विक्रम बिष्ट

टिहरी
…..गिर्दा इसे कुछ और अंदाज में कहते…
जोहान्सबर्ग की घड़ियों में इस समय क्या बज रहा है, कोई बता सकता है? वहां दिन है कि रात है ? धूप अगरबत्ती,श्रीफल सभी रख लिए हैं। थालियां भी। वैसे तो मालवीर जी पर पूरा भरोसा है कि उनका घड़ियाल अब तक मंगल ग्रह के आसपास पहुंच गया होगा। वैज्ञानिकों को इस पर भरोसा रखना चाहिए। पूऐ दिन व्रत रखकर भजन कीर्तन करना चाहिए।
अपने नाम के अनरूप मालवीर जी शुभकार्य के लिए महेंद्र यान में उसकी क्षमता से सौ-गुना अधिक गौ गोबर, गौ मूत्र सहित सभी आवश्यक चीजें ले गये हैं। डाकनी-साकनी फिलहाल धरती पर ही जरूरी हैं। उनके बिना तालियां बेसुरी हो जाएंगी। वैसे भी मौसम की हालत खराब है।
बाकी तो..। सुना है कि पुतिन डर के मारे अपने बिल से ही BRICS को संबोधित करेंगे। झूठ बोला था कि युद्ध रोक दिया है। विश्वगुरू से झूठ ! कोई झूठ बोलकर उनका सामना कैसे कर सकता है। वे तो साक्षात है। उनके गण ही सींगों, पूच्छों से धकियाते हुए उक्रेन की शरण में पहुंचा देंगे। चीन भी वहां सच्चे दोस्त के तौर पर मौजूद है। जी- 20 के बाद मिलकर, जमकर दीवाली मनाएंगे। तब तक शायद ऐसे टमाटर की खोज हो जाये जो पैदाइशी लाल हो, कम से कम हरा तो कतई नहीं।

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