
उत्तराखंड
जनवरी का महीना चल रहा है, पहाड़ों पर सर्दी भी कड़ाके की है। इसके बावजूद उत्तराखंड की पहाड़ियां बर्फ को तरस रही हैं। विंटर गेम्स और स्नो स्कींग के लिए मशहूर औली और उसके आसपास की तमाम पहाड़ियां बिन बर्फ के सूनी-सूनी दिखाई दे रही हैं। बर्फबारी ना होने के कारण औली में आयोजित होने वाले हिम खेलों का आयोजन भी इस वर्ष नहीं हो पाया है।
मौसम विभाग इसकी वजह कमजोर पश्चिमी विक्षोभ को बता रहा है। उत्तराखंड के चमोली जिले में समुद्रतल से 9,500 फीट से लेकर 10,000 फीट तक की ऊंचाई पर स्थित औली अपनी सुरम्य वादियों के साथ ही बर्फीली ढलानों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। विशेषकर 1350 मीटर लंबा नंदा देवी स्कीइंग स्लोप स्कीयर्स की पहली पसंद है।
इस दक्षिण मुखी स्लोप को फेडरेशन आफ इंटरनेशनल स्कीइंग (फिस) से मान्यता प्राप्त है। स्कीइंग के अधिकांश खेल यहीं होते हैं। बीते वर्षों में जनवरी में इस स्लोप पर दो से ढाई फीट बर्फ जम जाती थी। इस बार मौसम चक्र में आए परिवर्तन के कारण नाममात्र को ही बर्फबारी हुई। ऐसे में यह स्लोप भी सूना पड़ा है, जबकि शीतकालीन खेलों के लिए डेढ़ से दो फीट बर्फ का होना जरूरी है।पिछले वर्ष दिसंबर में भारतीय ओलिंपिक संघ ने सरकार को पत्र लिखकर औली में अंतराष्ट्रीय फिश रेस और राष्ट्रीय अल्पाइन गेम्स कराने के लिए कहा था। संघ की तरफ से इस आयोजन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग कोच अजय भट्ट को प्रबंधक भी नियुक्त कर दिया गया। इसके बाद से आयोजन की तिथि घोषित करने के लिए अच्छी बर्फबारी का इंतजार चल रहा है।
पिछले सीजन में मौसम की बेरुखी के कारण औली में प्रस्तावित राष्ट्रीय शीतकालीन खेल रद करने पड़े थे। तब फरवरी 2023 के अंतिम सप्ताह में औली में राष्ट्रीय सीनियर अल्पाइन स्कीइंग एंड स्नोबोर्ड चैंपियनशिप का आयोजन होना था, लेकिन यहां काफी कम बर्फ पड़ी। फरवरी आखिर तक इंतजार करने के बाद जब बर्फ पड़ने की संभावनाएं खत्म हो गईं तो इन खेलों को रद कर दिया गया। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय फिश रेस भी रद करनी पड़ी थी।