
उत्तराखण्ड
द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद
पंचकेदारों में प्रतिष्ठित द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर मंदिर के कपाट बंद हो गए है। बुधवार सुबह शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से शीतकाल के लिए मंदिर के कपाट बंद किए गए। इस मौके पर मंदिर को फूलों से सजाया गया था। कपाट बंद होने के बाद भगवान मद्महेश्वर की उत्सव डोली प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए रवाना हो गई है। स्थानीय वाद्य यंत्रों ढोल-दमाऊं और बाबा मद्महेश्वर के जयकारों के डोली ने साथ प्रस्थान किया।
दरअसल,कपाट बंद से एक दिन पहले श्री मद्महेश्वर मंदिर में यज्ञ- हवन किया गया था। आज यानी 20 नवंबर प्रात: साढ़े चार बजे मंदिर खुल गया था प्रात कालीन पूजा के पश्चात श्रद्धालुओं ने भगवान मद्महेश्वर जी के दर्शन किए।उसके बाद मंदिर गर्भगृह में कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हुई। भगवान मद्महेश्वर जी के स्वयंभू शिवलिंग को श्रृंगार रूप से समाधि स्वरूप में ले जाया गया। शिवलिंग को स्थानीय पुष्पों,फल पुष्पों,अक्षत से ढक दिया गया। इसके बाद पुजारी टी गंगाधर लिंग ने प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान उपस्थिति में शुभ मुहूर्त में मंदिर के कपाट बंद किए।
कपाट बंद होने के साथ ही डोली अपने पहले रात्रि प्रवास गौंडार गांव पहुंचेगी। अगले दिन रांसी फिर गिरीया गांव में रात्रि प्रवास करेगी। 25 को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी।