
उत्तराखंड
एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स (एएमसी) के लिए नेहरु पर्वतारोहण संस्थान (निम) कम जोखिम वाला शिखर तलाशेगा। निम ने द्रौपदी का डांडा-2 चोटी पर हिमस्खलन हादसे के बाद प्रशिक्षु पर्वतारोहियों की सुरक्षा के लिए कम ऊंचाई और कम जोखिम वाले शिखर तलाशने का निर्णय लिया है।बीते चार अक्तूबर को निम के एएमसी कोर्स के प्रशिक्षु पर्वतारोही द्रौपदी का डांडा-2 (5670 मीटर) पर आरोहण के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे। हादसे में 25 प्रशिक्षु पर्वतारोही व निम के दो प्रशिक्षकों सहित कुल 27 की मौत हुई। जबकि दो प्रशिक्षु पर्वतारोही अभी भी लापता चल रहे हैं।हादसे के बाद निम प्रशिक्षु पर्वतारोहियों की सुरक्षा के लिए ट्रेनिंग पीक को बदलने पर विचार कर रहा है। निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि देशभर में केवल निम ही एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स में किसी चोटी का आरोहण कराता है।हादसे के बाद संस्थान पर चोटी का आरोहण बंद करने का भी दबाव रहा। लेकिन चोटी का आरोहण बंद करने की जगह कम ऊंचाई व जोखिम और एवलांच का खतरा न होने वाले शिखर का चयन किया जाएगा। ऐसी किसी चोटी पर बर्फ भी कम मिलती है तो वहां आरोहण कराया जाएगा, जिससे कोर्स के प्रशिक्षु पर्वतारोहियों की जान खतरे में न रहे।निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि द्रौपदी का डांडा-2 चोटी पर जहां हादसा हुआ, उस रुट से वह पिछले 20 सालों से प्रशिक्षु पर्वतारोहियों को आरोहण करा रह थे। उन्होंने किसी और रुट के चयन के साथ कम जोखिम वाली किसी चोटी का चयन करने की बात कही।बताया कि लापता दोनों प्रशिक्षु पर्वतारोहियों की तलाश के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। उन्होंने बताया कि कुछ दिन मौसम साफ रहने से रेस्क्यू कार्य में मदद मिलने की उम्मीद है। बताया कि निम और हॉज की करीब 35 सदस्यों की टीम लापता दोनों की तलाश कर रही है।देशभर में निम अकेला संस्थान है, जो प्रशिक्षण में पर्वतारोहण कराता है। लेकिन हादसे के बाद कम ऊंचाई के साथ कम जोखिम वाले शिखर पर ही आरोहण कराया जाएगा।
– कर्नल अमित बिष्ट, प्रधानाचार्य नेहरू पर्वतारोहण संस्थान।