कार्तिक पूर्णिमा के स्नान पर्व पर हरिद्वार में उमड़ा आस्था का सैलाब, श्रद्धालुओं ने लगाई पावन डुबकी

उत्तराखंड

आज साल का आखिरी कार्तिक पूर्णिमा का स्नान पर्व है। इस मौके पर हरिद्वार में गंगा स्नान करने के लिए आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा।इसके चलते हरकी पैड़ी पर लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में पावन डुबकी लगाई। कार्तिक स्नान पर्व पर गंगा स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है।कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास में पड़ने वाले स्नान पर्व को देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन देवता धरती पर स्नान के लिए आते हैं। ब्रह़मुहुर्त से ही श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी पहुंचकर स्नान करना शुरू कर दिया। भरी ठंड के बाद भी श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता है। हरिद्वार में आधी रात से ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था।श्रद्धालुओं का मानना है कि आज के दिन गंगा में स्नान करने से पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यात्रियों के डूबने की घटनाओं पर रोकथाम के लिए मुख्य स्नान घाटों पर जल पुलिस जवान, गोताखोरों के साथ ही एक प्लाटून फ्लड कंपनी बोट के साथ तैनात है। साथ ही आतंकवादी घटनाओं की रोकथाम के लिए लगातार चेकिंग की जा रही है।आज साल का आखिरी पर्व स्नान कार्तिक पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ पड़ रहा है। अब 14 जनवरी 2023 जनवरी में मकर संक्रांति पर सबसे बड़ा स्नान होगा। हरिद्वार में चंद्र ग्रहण शाम को 57 मिनट रहेगा।ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक सुबह 6:30 बजे से सात बजे तक स्नान का पहला शुभ मुहूर्त था। दोपहर में 12 बजे से एक बजे तक स्नान का दूसरा मुहूर्त है। चंद्र ग्रहण शाम 5:22 बजे से प्रभावी होगा और 6:19 बजे तक रहेगा। वहीं, चंद्रग्रहण की अवधि के बाद भी श्रद्धालु गंगा स्नान करें। चंद्र ग्रहण की अवधि को छोड़कर बाकी पूरे दिन श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य कमा सकते हैं। ग्रहण से नौ घंटे पूर्व सूतक लगने से पहले मंदिरों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए हैं।

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