पृथक उत्तराखण्ड आंदोलन की दिल्ली में दस्तक -विक्रम बिष्ट

उत्तराखंड
नव भारत टाइम्स ने 24 नवम्बर 1987 के अंक के मुखपृष्ठ पर उत्तराखण्ड क्रांति दल की वोट क्लब रैली का समाचार इसी शीर्षक से प्रकाशित किया था। दिल्ली में युवा उक्रांद के साथी बृज भूषण गैरोला, बुद्धि सिंह पंवार, संजय कोठियाल, रमेश कुड़ियाल मिल गये थे। बृजभूषण गैरोला तो गंगोत्री पदयात्रा में शामिल थे। उन्हें त्रिवेन्द्र पंवार दुर्घटना की सूचना दी। सभी साथी व्यथित मन से वोट क्लब पहुंचे थे।
सभा शुरू हुई पूर्व टिहरी रियासत के अंतिम राजा मानवेन्द्र शाह के शुभकामना संदेश से। पहला भाषण दिल्ली के पूर्व आयुक्त बी.आर. टम्टा- लखनऊ में बैठने वाले नेताओं और अधिकारियों को क्या मालूम कि टिहरी जिले का आराकोट बंगाण कहां है।
हम उस पीढ़ी की कच्ची उम्र के युवा थे जिनके लिए देश में सुभाष चन्द्र बोस, सरदार भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद और टिहरी में श्रीदेव सुमन आदर्श थे। राजा खलनायक। आपातकाल के दौरान दिल्ली के आयुक्त टम्टा जी की भूमिका के बारे में जो पढ़ा सुना था उसको लेकर भी उनके बारे में अच्छी धारणा नहीं थी।
दूसरी ओर मंच से किसी ने दुर्घटना और उसमें घायल हुए त्रिवेन्द्र पंवार का नाम तक नहीं लिया। विरोध दर्ज किया लेकिन अनसुना..। हां, इसमें बहुत कुछ है, जो इतिहास से सबक सीख भविष्य की बेहतरी के लिए मददगार लगेगा चर्चा करेंगे।
कुछ समय बाद बी. आर. टम्टा जी ने उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के लिए संगठन भी बनाया था। वह टिहरी में दो दिन रहे, जितना संभव था उनको सहयोग दिया।
उनके करियर की शुरुआत शायद उत्तरकाशी जिले के गठन के समय के आसपास हुई थी। आराकोट बंगाण उनकी स्मृति में .. यह कोई अचरच नहीं।

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