पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अंकिता भंडारी हत्याकांड में वीआईपी के खुलासे को लेकर देंगे धरना

उत्तराखंड

उत्तराखंड में खास मुद्दों पर सरकार का ध्यान खींचने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कभी मौन उपवास तो कभी एकल धरना देते रहते हैं। अंकिता भंडारी हत्याकांड में भी वे अब तक सोशल मीडिया में काफी सक्रिय रहे हैं। अब उन्होंने अंकिता हत्याकांड में वीआईपी के नाम का खुलासा करने की मांग को लेकर धरना देने का निर्णय लिया है।पूर्व सीएम हरीश रावत ने जारी एक बयान में कहा है कि वे उत्तराखंड भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की इस बात से पूर्णतः सहमत हैं कि बेटियां राज्य का सामूहिक स्वाभिमान हैं तो फिर ऐसे में केवल हरीश रावत ही क्यों 24 घंटे का धरना दे? कहा कि मैं निमंत्रण देता हूं कि भाजपा का शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व, कांग्रेस पार्टी का शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व, उक्रांद, कम्युनिस्ट पार्टियां, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का नेतृत्व भी इस भावनात्मक एकजुट में शामिल होना चाहिए। भाजपा सहित सभी दलों का राजनीतिक पक्ष इस धरने में भागीदार बन सकें, इसीलिए मैं 26 दिसंबर को अपराह्न 12 बजे से 27 तारीख अपराह्न 12 बजे तक गांधी पार्क देहरादून में धरना दूंगा। मैं यहां तक तैयार हूं कि यदि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस धरने में आयेगा तो मैं उनके पीछे धरने में बैठूंगा।पूर्व सीएम रावत ने कहा कि अंकिता प्रकरण ने हमें राज्य में 2016 से हो रहे अंधाधुंध बनाए जा रहे रिजॉर्ट को एक नई दृष्टि से देखने की चेतावनी दी है। लोग उत्तराखंड आध्यात्मिक, नैसर्गिक, पर्यावरणीय, साहसिक, सांस्कृतिक और पर्यटन के लिए आएं उसका स्वागत है, मगर शारीरिक आनंद के लिए आने वाले लोग न आएं। वनन्तरा रिजॉर्ट में वीआईपी को विशेष सेवा देने के लिए अंकिता पर डाला गया दबाव हमारी संस्कृति परंपरा और अध्यात्म को नष्ट करने का अशुभ संकेत है।

उन्होंने कहा कि ऋषिकेश से जुड़े इन सभी स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे होने चाहिए जहां विद्युत परियोजना हो, संत महात्मा गंगा आरती के लिए आते हों, विदेशी मेहमानों जहां अपना ज्यादा समय व्यतीत करते हों। उन्होंने सवाल उठाया है कि पुलिस से इतर और संस्थाओं की जांच से कई बातें सामने आई हैं। लगता है कि किसी वीआईपी को बचाने के लिए साक्ष्य और परिस्थितियों को बदलने की साजिश रची जा सकती है। कहा कि क्यों वीआईपी के साथ आए बाउंसर और सुरक्षा कर्मी अभी तक चिह्नित नहीं हो पाए हैं? मुझे आश्चर्य है कि विधानसभा में सरकार के अधिकारिक बयान पर कि रिजॉर्ट में वीआईपी नहीं, बल्कि एक वीआईपी कक्ष है, जहां आने वाला प्रत्येक व्यक्ति वीआईपी कहलाता है। वह अंकिता के हत्यारों को बचाव की यह ढाल सरकार ही उपलब्ध करवाने लग गई है। रावत ने कहा कि मैं तो एक जाता हुआ जोगी हूं, जिसको आप सभी ने लताड़ा है, लेकिन फिर भी अपने अंतिम कर्तव्य के रूप में मैं, बेटी और बेटियों के स्वाभिमान के प्रश्न पर चुप नहीं बैठ सकता।

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