
टिहरी
24 दिसम्बर को उत्तराखण्ड के विद्यालयों में स्व. इन्द्रमणि बडोनी के जन्म दिवस को लोक संस्कृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा। शिक्षा विभाग ने दिशा निर्देश जारी किए हैं। विश्व विद्यालयों को तो स्वयं पहल करनी चाहिए थी, पता नहीं क्या स्थिति है।
उत्तराखण्ड राज्य बन भी जायेगा तो इसका विकास किस तरह होगा ? बडोनी जी का जवाब – यहां की आबोहवा पर ,,,,,,!
विद्यालयों में उस अजीबोगरीब से माडल पर चर्चा की उम्मीद करना अन्याय थोपना होगा, जब हम देवभूमि राज्य के मिथक से बाहर निकलने को तैयार नहीं हैं।
माधो सिंह भण्डारी नृत्य नाटिका के माध्यम से बडोनी जी ने समाज के लिए कठोर परिश्रम और बलिदान का संदेश देने का प्रयास किया था। माधो सिंह भण्डारी देश के लिए शहीद महान योद्धाऔर लगभग पांच सौ साल पहले मलेथा की गूल निर्माण के कुशल इंजीनियर।
इन्द्रमणि बडोनी देवप्रयाग क्षेत्र से 1967 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे। मध्यावधि चुनाव में दूसरी बार। उसी दौर में उन्हें आभास हुआ था कि बड़े भोगोलिक आकार और बेडोल सिस्टम के कारण उत्तर प्रदेश का भला होने वाला नहीं है। लखनऊ विधानसभा में वह उत्तराखण्ड के साथ-2 बुंदेलखंड से भेदभाव का सवाल भी उठाते हैं और इस कारण पैदा होने वाले असंतोष के परिणामों की चेतावनी भी।
24 दिसम्बर बडोनी जी और 25 दिसम्बर अटल जी की जयंती। ये महापुरुष चाहे जिस राजनीतिक दल में रहे हैं, हमारे अतीत की गौरवगाथा के अमर नायक हैं।