जोशीमठ में बर्फबारी के चलते ध्वस्तीकरण का कार्य रुका,लगातार खतरे वाले भवनों की संख्या बढ़ रही 

उत्तराखंड

भूधंसाव के चलते जोशीमठ में खतरे वाले भवनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वहीं शुक्रवार को जोशीमठ में बर्फबारी हुई, जिसके चलते ध्‍वस्‍तीकरण का कार्य रोका गया।हालात को देखते हुए प्रशासन के पास इन भवनों को तोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने गुरुवार को एक और रिहायशी भवन को तोड़ने का आदेश जारी कर दिया।जोशीमठ में असुरक्षित भवनों को चिह्नित करने के साथ ही खतरा बने भवनों का ध्वस्तीकरण भी तेजी से किया जा रहा है। इस कड़ी में लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस को अब जेसीबी से ध्वस्त किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम सुरक्षा व्यवस्था का अच्छी तरह आकलन करने के बाद उठाया गया।गेस्ट हाउस को जेसीबी से ध्वस्त करने से पहले विशेषज्ञों ने इस बात का अध्ययन किया कि इससे आसपास के किसी भवन को नुकसान न पहुंचे। यह भी देखा गया कि इस प्रक्रिया से क्षेत्र की भूमि को कोई हानि न हो। शाम तक गेस्ट हाउस का अधिकांश हिस्सा ध्वस्त किया जा चुका था। इससे पहले बुधवार को गेस्ट हाउस से खिड़की-दरवाजे और उनकी चौखट यांत्रिक तरीके से हटाए गए थे।उधर, नगर के सबसे ऊपरी हिस्से में स्थित मनोहरबाग क्षेत्र में भी भूधंसाव और दरारों के कारण खतरनाक हो चुके दो भवनों को ध्वस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस संबंध में बुधवार को आदेश जारी किया गया था। इन भवनों को सीबीआरआइ के विज्ञानियों की देखरेख में यांत्रिक तरीके से विघटित (डिस्मेंटल) किया जा रहा है।मनोहरबाग भूधंसाव से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से है। यहां 27 भवनों पर लाल निशान लगाया जा चुका है। इन भवनों में दरारों की संख्या और चौड़ाई बढ़ रही है। इसके अलावा नगर में दो होटलों मलारी इन व माउंट व्यू और जेपी कालोनी के 14 भवनों को तोड़ने की प्रक्रिया भी गतिमान है।

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