अजब विभाग की गजब कहानी- विक्रम बिष्ट

टिहरी
लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को उत्तराखणड की धरती पर जो कोई भी साकार रूप देने की कोशिशों में जुटे हैं उनमें समाज कल्याण विभाग की जगह अग्रिम पंक्ति में होनी चाहिये। इस जगह को बरकरार रखने के लिए विभाग को किन-2 हालातों का सामना नहीं करना पड़ रहा है ?
बताते हैं कि कुल 13 जिलों के उत्तराखण्ड में विभाग के पास जिला समाज कल्याण अधिकारियों का भारी अकाल है और इसे सहायक समाज कल्याण अधिकारियों से काम चलाना पड़ रहा है। स्थिति यहां तक है कि प्रदेश के दोनों मण्डलायुक्तों को विभाग के निदेशक को व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए पत्र लिखकर शिकायत (? ) करनी पड़ी। निदेशक ने विभाग के प्रमुख सचिव को आयुक्तों द्वारा की गई शिकायत से अवगत कराया था।
समाज कल्याण विभाग लगभग तीन साल पहले पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले के लिए सुर्खियों में आया था।
कुछ इस तरह से –
छात्रवृत्ति घोटाले में मोनार्ड विश्व विद्यालय हापुड़ यूपी के उप निबंधक सहित तीन पर रानीखेत में मुकदमा।
चम्पावत के पूर्व समाज कल्याण अधिकारी सहित सात पर केस।
दून के दो संस्थानों पर मुकदमे।
समाज कल्याण विभाग के उप निदेशक के खिलाफ मुकदमे की अनुमति आदि-इत्यादि।
माना जाता है कि जनता की याददाश्त कम होती है। मामले बड़े होते हैं तो शोरगुल के बीच ठोस कार्रवाई करने के दावे ठोके जाते हैं। हो-हल्ला थामने के लिए बलि के बकरे,,, और रफ्ता-रफ्ता जांच की गाड़ी चलती रहती है। इस बीच पेपर लीक हो जाते हैं। इसे भी भुलाने की तरकीब,,,,।
मई, जून 2022 को पौड़ी, नैनीताल से वाया हल्द्वानी समाज कल्याण विभाग के कल्याण के लिए चली शिकायती चिठ्ठी गंतव्य तक पहुंची या नहीं, कहीं वाया लखनऊ तो….

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