चंद्रयान-3 का लैंडर रोवर विक्रम आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद की सतह पर रखेगा कदम ,क्यों अहम है मून मिशन जानें …

उत्तराखंड

आज पूरी दुनिया की नजर इसरो के चंद्रयान-3 के चांद की सतह पर सफल लैंडिंग पर बनी हुई है। आज का ही वो दिन है जिसका इंतजार किया जा रहा था। 23 अगस्त शाम 6 बजकर 4 मिनट पर विक्रम लैंडर और रोवर चांद की सतह पर अपना पहला कदम रखेंगे। इसे लेकर इसरो ने जानकारी दी है कि सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया पूरी तरह से सुचारू रूप से चल रही है, कहीं कोई दिक्कत नहीं है। चंद्रयान -3 की सफल लैंडिंग इसरो और भारत के लिए अहम है क्योंकि इससे पहले चंद्रयान-2 की क्रैश लैंडिंग हुई थी। इसरो के वैज्ञानिकों का दावा है कि चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग तो होकर ही रहेगी, इसकी लैंडिंग के लिए सभी विकल्पों पर काम किया जा रहा है।

चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर देशभर में पूजा-पाठ किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश के वाराणसी से लेकर मध्य प्रदेश के उज्जैन तक के मंदिरों में हवन किया गया. चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग का इसरो द्वारा सीधा प्रसारण किया जाएगा. जिसे लोग इसरो के फेसबुक और यूट्यूब पर देख सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी साउथ अफ्रीका से लैंडिंग का लाइव टेलीकास्ट देखेंगे.

भारत के मून मिशन चंद्रयान-3 पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं. आज शाम को 6 बजकर चार मिनट पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग होगी. चंद्रयान-3 को बीते 14 जुलाई को इसरो ने लॉन्च किया था. इसरो ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लाइव प्रसारण की भी व्यवस्था की है. शाम को करीब साढ़े पांच बजे चंद्रयान-3 की लैंडिंग का सीधा प्रसारण किया जाएगा.

भारत का चंद्रयान-3 आज चांद की सतह पर उतरकर इतिहास रचने वाला है. आज शाम छह बजकर चार मिनट पर चांद पर चंद्रयान की लैंडिंग होनी है. अबतक सबकुछ योजना के मुताबिक ही चल रहा है. लैंडिंग के वक्‍त के आखिरी 15 मिनट इस मिशन के लिए बेहद अहम हैं. चंद्रयान-2 के दौरान भी लैंडिंग के वक्‍त ही हमसे चूक हो गई थी, जिसके चलते चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने के लिए हमें चार साल लंबा इंतजार करना पड़ा. देश में मिशन मून को सफल बनाने के लिए दुआओं का दौर भी शुरू हो चुका है. कोई हवन कर रहा है तो कोई नमाज अदा कर ISRO की कामयाबी की दुआ मांग रहा है. मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर भारत का यह मून मिशन है क्या? भारत इस मिशन के माध्‍यम से कैसे इतिहास रचने वाला है? आइये हम आपको इन सभी सवालों के जवाब देते हैं.

चंद्रयान-3 में विक्रम लैंडर क्‍या है?
चंद्रयान-3 में विक्रम लैंडर मौजूद है, जिसे भारत के महान स्‍पेस साइंटिस्‍ट विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. विक्रम लैंडर की मदद से ही चंद्रयान की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग हो पाएगी.

चंद्रयान-3 में प्रज्ञान रोवर क्‍या है?
चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर की मदद से चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग जरूर करेगा लेकिन इसरो को चांद पर जिस मिशन को अंजाम देना है उसे प्रज्ञान रोवर अंजाम देगा. विक्रम लैंडर के अंदर प्रज्ञान रोवर मौजूद है, जो चांद की सतह पर अगले 14 दिन तक खोजबीन करेगा.

विक्रम लैंडर की लाइफ कितनी है?
विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की लाइफ पृथ्‍वी के 14 दिनों के बराबर बताई जा रही है. सौर्य ऊर्जा से विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चंद्रमा पर ऊर्जा प्राप्‍त कर अपने मिशन को अंजाम देंगे. ऐसे में 14 दिन बाद जब चांद के इस हिस्‍से पर अंधेरा छा जाएगा तब यह मिशन खत्‍म हो जाएगा. इसरो चीफ एस सोमनाथ का यह भी कहना है कि 14 दिन बाद भी चंद्रयान के काम करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.

चंद्रयान-3 से भारत कैसे रचेगा इतिहास?
दरअसल, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर आजतक भी कोई देश सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया है. भारत अगर आज शाम 6:04 बजे ऐसा करने में सफल रहा तो वो ऐसा करने वाला पहला देश बनकर इतिहास रच देगा.

23 अगस्‍त को ही क्‍यों की जा रही है लैंडिंग?
इसरो ने अपने पूरे मिशन को इस हिसाब से प्‍लान किया है ताकि 23 अगस्‍त को चंद्रयान चांद पर लैंड हो सके. ऐसा इसलिए किया गया क्‍योंकि चांद के एक हिस्‍से पर केवल 14 दिन सूरज की रौशनी पहुंचती है. अगले 14 दिन वहां अंधेरा रहता है. चंद्रयान-3 मिशन सौर्य ऊर्जा से चलेगा. 22 अगस्‍त को लैंडिंग के स्‍थान पर अंधेरे के 14 दिन समाप्‍त हो रहे हैं. यही वजह है कि इसरो 23 अगस्‍त से अगले 14 दिन यहां रिसर्च करना चाहता है.

क्‍यों अहम है मून मिशन?
मन में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर भारत को चांद पर जाने की जरूरत क्‍या है. दरअसल, चंद्रयान-3 के माध्‍यम से भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की खोज करने के लिए जा रहा है. इस मिशन के माध्‍यम से स्‍पेस इंडस्‍ट्री में भारत की पकड़ मजबूत होगी.

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