
सू.वि.टिहरी
“बजरंग सेतु पर श्रद्वालुओं/पर्यटकों एवं स्थानीय जनमानस को जल्द मिलेगी आवागमन की सुविधा।”
“132.30 मीटर स्पान के बजरंग सेतु का 75 प्रतिशत भौतिक कार्य पूर्ण।”
जनपद टिहरी गढ़वाल के विधानसभा क्षेत्र नरेन्द्रनगर क्षेत्रांतर्गत मुख्यमंत्री जी की घोषणा के क्रम में 132.30 मीटर स्पान के बजरंग सेतु का निर्माण कार्य प्रगति पर है।केन्द्रीय सड़क अवसंरचना निधि के अन्तर्गत निर्माणाधीन बजरंग सेतु के निर्माण कार्य एवं विद्युतीकरण कार्य की स्वीकृत लागत₹ 6886.20 लाख है।
वर्ष 1929 में निर्मित विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला सेतु के समीप बजरंग सेतु बनाया जा रहा है। इस झूला पुल की चौड़ाई 8.00 मी. है। वर्षभर श्रद्धालुओं/पर्यटकों का आवागमन को ध्यान में रखते हुए, नए झूला सेतु की डिजाइन में पाईलोन के स्थान पर दोनों ओर केदारनाथ मंदिररूपी पाईलान का स्वरूप रखा गया है। पैदल यात्रियों हेतु ग्लास डेक का प्राविधान किया गया है तथा मध्य में हल्के वाहनों के आवागमन का भी प्राविधान किया गया है।
अवगत है कि पूर्व निर्मित लक्ष्मण झूला सेतु सुरक्षित यातायात हेतु असमर्थ था, जिस कारण सेतु को आवागमन के लिए बन्द करते हुए शासन द्वारा नए वैकल्पिक सेतु के निर्माण का निर्णय लिया गया। देश/विदेश में विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला सेतु की अत्यधिक महत्ता, इस क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं / पर्यटकों को अत्यधिक संख्या, स्थानीय निवासियों के सुविधाजनक आवागमन, स्थानीय व्यापारियों के रोजगार तथा आम जनमानस की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, उत्तराखण्ड शासन द्वारा पुराने लक्ष्मण झूला सेतु के समीप ही एक नया सेतु निर्मित करने हेतु प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई।
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के मार्गदर्शन में निर्माणाधीन बजरंग सेतु के संबंध में अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग मनोज बिष्ट ने बताया कि बजरंग सेतु गंगा नदी के ऊपर निर्मित किया जा रहा है, जो टिहरी जनपद के तपोवन क्षेत्र को पौड़ी जनपद के स्वर्गाश्रम क्षेत्र से जोड़ेगा। बजरंग सेतु का 75 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। वर्तमान में सेतु के ईरेक्शन में 53 सेगमेन्ट के सापेक्ष 46 सेगमेन्ट लगाये जा चुके है। अवशेष कार्य प्रगति में हैं। 21 अप्रैल तक डैक का कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा तथा जून तक संपूर्ण कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।
लक्ष्मणझूला सेतु देश विदेश में विख्यात पर्यटन स्थल के रुप में जाना जाता है। ऋषिकेश, मुनिकीरेती, तपोवन एवं स्वर्गाश्रम का यह क्षेत्र योग नगरी के रुप में विश्व विख्यात है। गंगा नदी के तट पर स्थित होने के कारण यह क्षेत्र न केवल पर्यटन बल्कि धार्मिक दृष्टि से बहुत प्रसिद्ध है। नये वैकल्पिक सेतु के निर्माण से श्रद्वालुओं/पर्यटकों एवं स्थानीय जनमानस को आवागमन की सुविधा प्राप्त होगी। सेतु निर्माण से पर्यटन को अत्यधिक बढ़ावा मिलेगा एवं स्थानीय नागरिक, व्यापारियों के रोजगार / व्यवसाय में भी वृद्धि होगी।