
देहरादून- सीएम पुष्कर सिंह धामी ने रविवार (आज) नालापानी चौक में प्रीतम भरतवाण जागर ढोल सागर इंटर नेशनल अकादमी का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अकादमी को 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की ताकि इस अकादमी के माध्यम से हमारी संस्कृति को संरक्षित करने हेतु प्रयास सफल हो सके। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर लोक कलाकारों को सम्मानित भी किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा की लोक संस्कृति हमारी पहचान है, हमें नहीं भूलना चाहिए की हमारी जड़ें कहां हैं। जड़ें कट जाएं तो हरा भरा पेड़ भी धीरे धीरे सूख जाता है। जड़ सुरक्षित रहेगी तो पेड़ भी सुरक्षित रहेगा, इसी तरह हमारी संस्कृति सुरक्षित रहेगी तो हम भी सुरक्षित रहेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अपनी संस्कृति को संरक्षित रखने हेतु हम सबको अपने अपने स्तर से प्रयास करना होगा। इस क्षेत्र में पद्मश्री प्रीतम भरतवाण का यह प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय है।
प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता में जागर सम्राट ने बताया कि करीब छह सौ तेइस लोग पहले ही उनसे इस विद्या में प्रशिक्षण ले रहे हैं। उन्होंने ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने के साथ ही अकादमी में ऑफलाइन प्रशिक्षण के लिए तैयारियां की है। शौकिया कलाकारों के लिए छह माह तक व इस विद्या में अधिक रुचि व गंभीरता दिखाने वालों को एक साल का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह अकादमी शोध छात्रों की भी मदद करेगी जो पारम्परिक वाद्य यंत्रों की विशेषता व उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में कुछ बदलावों के साथ बजाए जाने वाले ढोल दमौं के बारे में कुछ जानना चाहते हैं। प्रीतम के मुताबिक लोक संस्कृति का प्रमुख आधार स्तंभ ढोल व जागर ही है। इस विद्या को अगली पीढ़ी में ले जाने के मकसद से ही इस अकादमी को व्यापक स्तर पर शुरू किया जा रहा है। पहले वह अपने आवास पर ही छोटे स्तर पर इस काम को कर रहे थे। लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाया जा रहा है।

ढोल व जागर में तकनीकी रुप से महारत हासिल करने के लिए उनके द्वारा विशेष पाठ्यक्रम भी तैयार किया गया है। जिसमें ठेठ, मंडाण, ढोल पर पंजा लगाने, धुंयाल, बेडू, मांगल, शब्द, रासौं लगाने के तरीके सिखाए जाएंगे।