देश की पहली रैपिड रेल दौड़ने को तैयार , लोगो में बनी उत्सुकता का केंद्र

दिल्ली

दिल्ली से 50 किलोमीटर दूर ईस्टर्न पेरिफेरल हाइवे के किनारे मोदीनगर के दुहाई गांव में बने डिपो में खड़ी देश की पहली रैपिड रेल उत्सुकता का केंद्र बनी हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च, 2019 को देश के पहले दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर की आधारशि‍ला रखी थी. दिल्ली से मेरठ तक 82.15 किमी लंबे रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के पहले चरण का काम अंतिम चरण में पहुंच गया है. प्रथम चरण में साहिबाबाद से दुहाई तक 17 किमी रैपिड रेल मार्च, 2023 से शुरू करने का लक्ष्य है. आरआरटीएस कई खूबियों के कारण दुनिया का सबसे हाइटेक रैपिड रेल प्रोजेक्ट होगा. रैपिड रेल के ट्रायल की तैयारियां अंतिम चरण में हैं.

यात्रियों के लिए सुविधाएं

-आरआरटीएस ट्रेन के डिब्बों में बैठने के लिए आमने-सामने 2&2 सीटें होंगी. इसके अलावा यात्री खड़े होकर भी यात्रा कर सकेंगे.

-स्वत: प्लगइन दरवाजों के अलावा रैपिड रेल में जरूरत के आधार पर चुनिंदा दरवाजों को खोलने के लिए पुश बटन होंगे. इससे हर स्टेशन पर सभी दरवाजे खोलने की जरूरत समाप्त होगी, जिससे ऊर्जा की बचत होती है.

-आरआरटीएस ट्रेनों में विशाल, आरामदायक और झुकी हुई सीटों के साथ बिजनेस क्लास (प्रति ट्रेन एक कोच) भी होगी जिनमें प्लेटफॉर्म-स्तर पर एक विशेष लाउंज से प्रवेश मिलेगा. प्रत्येक ट्रेन में एक डिब्बा महिला यात्रियों के लिए भी आरक्षित रहेगा.

-हाइ-स्पीड ट्रेन संचालन को देखते हुए, सभी आरआरटीएस स्टेशनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी) होंगे. ट्रेन के दरवाजों को पीएसडी के साथ जोड़ा जाएगा. 

अनोखी है रैपिड रेल

-30,274 करोड़ रुपए की लागत वाले रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए कॉरिडोर निर्माण का कार्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) कर रहा है.

-एनसीआरटीसी ने रैपिड रेल के संचालन और मेंटेनेंस के लिए 1 जुलाई को डायचे बान इंजीनियरिंग ऐंड कंसल्टेंसी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (डीबी इंडिया) के साथ पहला करार 12 वर्षों के लिए किया है. डीबी इंडिया जर्मनी की राष्ट्रीय रेलवे कंपनी डायचे बान एजी की सहायक कंपनी है. 

-वर्तमान में, 14,000 से अधिक कर्मचारी और 1100 इंजीनियर दिन-रात पूरे 82 किमी लंबे गलियारे का निर्माण कर रहे हैं और अब तक 25 लॉन्चिंग गैन्ट्री (तारिणी) स्थापित की जा चुकी हैं. किसी भी शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना के लिए देश में इस स्तर का निर्माण कार्य पहली बार किया जा रहा है.

-कॉरिडोर निर्माण के लिए 6.5 मीटर व्यास की आरआरटीएस सुरंगों को बोर करने के लिए देश में पहली बार एक साथ कुल 8 ‘टनल बोरिंग मशीनों’ (टीबीएम) का उपयोग किया जा रहा है. इन मशीनों को ‘सुदर्शन’ नाम दिया गया है.

-देश के पहले आरआरटीएस कॉरिडोर (दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ) के लिए ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन (एएफसी) सिस्टम अपनाया जा रहा है. यह प्रणाली एनसीएमसी (नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड) मानकों के आधार पर क्यूआर कोड आधारित टिकटिंग (डिजिटल क्यूआर और पेपर क्यूआर) और ईएमवी (यूरोपे, मास्टरकार्ड, वीजा) ओपन लूप कॉन्टैक्टलेस कार्ड की सुविधा उपलब्ध कराएगी.

-एनसीआरटीसी ने स्वदेशी प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स (पीएसडी) को डिजाइन और विकसित करने के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ समझौता किया है. यात्री सुरक्षा के लिए और बिजली बचाने के लिए भी भूमिगत स्टेशनों में प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स का उपयोग किया जाएगा.

-एनसीआरटीसी एक इंटीग्रेटेड रियल-टाइम एंटरप्राइज ऐसेट मैनेजमेंट सिस्टम (आइ-ड्रीम्स) लागू कर रहा है, जो समय रहते रैपिड रेल प्रोजेक्ट में किसी भी जोखिम या कमियों का अनुमान लगाने, पहचानने, सुधारने या दूर करने में सक्षम होगा. इससे यात्रियों की सुरक्षा में नए आयाम जुड़ेंगे. 

-रैपिड रेल कोच का निर्माण भारत में बॉम्बार्डियर के गुजरात में सावली संयंत्र में ( किया जा रहा है. सभी पूर्णत: स्वदेशी 40 ट्रेनसेट (210 कोच) का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ दृष्टिकोण के तहत होगा. पहला ट्रेन सेट 2 जून को दुहाई डिपो पहुंच चुका है. 

आरआरटीएस में विश्व में पहली बार रेल संचालन के रेडियो नेटवर्क में लांग टर्म इवोल्यूशन (एलटीई), यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम, डिजिटल इंटरलॉकिंग और स्वचालित ट्रेन ऑपरेशन (एटीओ) को एक दूसरे से जोड़ा जा रहा है. इससे ट्रेन को बिना किसी अवरोध के 5 से 10 मिनट के भीतर संचालित किया जा सकेगा.

-गाजियाबाद में मेरठ तिराहे पर रैपिड रेल जमीन से 26 मीटर की ऊंचाई से गुजरेगी जो देश में किसी भी ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट में सबसे अधिक है.

-मल्टी-मॉडल एकीकरण: आरआरटीएस स्टेशनों को हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशनों, इंटर स्टेट बस टर्मिनस, मेट्रो स्टेशनों से एकीकृत किया जाएगा.   

-आरआरटीएस कॉरिडोर, दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) की सभी 7 लाइनों से एकीकृत होंगे. डीएमआरसी और आरआरटीएस नेटवर्क सहित दिल्ली के मास ट्रांजिट सिस्टम की लंबाई 743 किमी होगी जो लंदन क्रॉस रेल, हांगकांग एमटीआर और पेरिस आरईआर की लंबाई से अधिक होगी.

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