
तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ धाम में त्रीस जूला महायज्ञ समिति चन्द्र शिला के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय महायज्ञ का पूर्णाहुति के साथ समापन हो गया है। महायज्ञ के समापन अवसर पर सैकड़ों भक्तों ने तुंगनाथ धाम पहुंचकर पुण्य अर्जित किया। तीन दिवसीय महायज्ञ के आयोजन से तुंगनाथ धाम सहित तुंगनाथ घाटी का वातावरण भक्तिमय बना रहा। बुधवार को ब्रह्म बेला पर विद्वान आचार्यों ने पंचाग पूजन के तहत गणेश, लक्ष्मी, पृथ्वी, कुबेर, भगवान विष्णु, भगवान तुंगनाथ सहित तैतीस कोटि देवी-देवताओं का आवाहन कर विश्व समृद्धि की कामना कर आरती उतारी गई। ठीक दस बजे से महायज्ञ का शुभारंभ हुआ तथा ब्राह्मणों ने वेद ऋचाओं के साथ हवन कुण्ड में जौ, तिलहन, जटामांसी, चन्दन, पुष्प, अक्षत्रो सहित अनेक प्रकार की पूजार्थ सामाग्रियो की आहूतियां डालकर कर विश्व समृद्धि व क्षेत्र के खुशहाली की कामना की। दोपहर 12 बजे विद्वान आचार्यों ने कई कुन्तल जौ, तिलहन तथा घी की विशाल आहूतियां हवन कुण्ड में डाली तो कई देवी-देवता नर रूप में अवतरित हुए तथा हवन कुण्ड की परिक्रमा कर भक्तों को आशीष किया।
हवन कुण्ड में विशाल आहूतियां डालते ही तुंगनाथ धाम का वातावरण भगवान तुंगनाथ के जयकारों से गुजायमान हो उठा। तीन दिवसीय महायज्ञ की पूर्णाहुति के बाद सर्व प्रथम भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग सहित तुंगनाथ धाम में विराजमान अन्य देवी-देवताओं को तिलक अर्पित किया गया। तुंगनाथ दिवारा यात्रा समिति अध्यक्ष भूपेन्द्र मैठाणी ने बताया कि प्रथम चरण में भगवान तुंगनाथ की दिवारा यात्रा द्वारा क्यूजा घाटी, मोहनखाल, पोखरी व हापला घाटियों का भ्रमण कर श्रद्धालुओं को आशीष दिया गया तथा दूसरे चरण में दिवारा यात्रा द्वारा मदमहेश्वर, कालीमठ घाटियों का भ्रमण किया गया तथा तीसरे चरण में शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में 11 दिवसीय महायज्ञ का आयोजन किया गया तथा चौथे चरण में तुंगनाथ धाम में तीन दिवसीय महायज्ञ का समापन हो गया है तथा पांचवे चरण में शाही भोज के साथ दिवारा यात्रा का समापन होगा।