
उत्तराखंड
यूरोपीय देशों के भ्रमण से लौटने के बाद शनिवार को कृषि एवं उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने अपने अनुभवों को और भावी योजनाओं को मीडिया के साथ साझा किया। उन्होंने कहा कि जैविक खेती की काफी संभावनाएं हैं। राज्य के किसान और बागवानों को बेहतर प्रजाति के पौधे मुहैया कराने के लिए सरकार दो अत्याधुनिक नर्सरियां बनाएगी। एक नर्सरी पूरी तरह से मैदानी जिलों की कृषि-बागवानी को केंद्रित करते हुए पौध तैयार करेगी। जबकि दूसरी पर्वतीय परस्थितियों के अनुसार। जैविक कृषि, मौन पालन, आलू उत्पादन आदि सेक्टर में सहायता के लिए जल्द ही स्विटरलैंड, फ्रांस और जर्मनी के विशेष उत्तराखंड आएंगे।
राज्य के कृषि-बागवानी उत्पादों के लिए ठोस मार्केटिंग की भी व्यवस्था की जाएगी। जोशी ने बताया कि जैविक खेती के विकास के लिए उत्तराखंड ने जर्मनी की आईफोम-आर्गनिक्स इंटरनेशल के साथ एमओयू किया है। राज्य के उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता और पहचान दिलाने के लिए आईफोम सहायता करेगी।इसी प्रकार फ्रांस की गोमर, नियोफांग, यूपीएल फ्रांस, स्विटजरलैंड की एफआईबीएल संस्था के विशेषज्ञों से उत्तराखंड आने का अनुरोध किया गया है। जल्द ही गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में सरकार आपके द्वार अंदाज में एक-एक किसान संवाद कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाएगा। सरकारी उद्यानों का उपयोग के लिए वहां हार्टिटूरिज्म विकसित किया जाएगा। प्रथम चरण में 90 सरकारी उद्यानों में से चार को पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किया जाएगा।
कृषि-बागवानी सचिव शैलेश बगोली ने कहा कि राज्य में फल-सब्जी व कृषि उत्पादों की ट्रांसपेार्टेशन, खाद्य प्रसंस्करण और मार्केटिंग के लिए भी प्रभावी चेन तैयार की जाएगी। जायका के तहत राज्य के चार जिले टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल व पिथौरागढ़ में काम शुरू हो चुका है। बाकी नौ जिलों के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। रोपवे, कोल्ड स्टोर समेत जरूरी संसाधनों को विकसित किया जाएगा।