भर्ती घपला: तो देहरादून में हल हुए थे दोनों परीक्षाओं के पेपर

सचिवालय सुरक्षा संवर्ग और कनिष्ठ सहायक (ज्यूडिशियल) परीक्षा का पेपर भी स्नातक स्तरीय भर्ती की तर्ज पर आउट किया गया था। इसमें भी गैंग ने देहरादून के करनपुर सहित कुछ और जगहों पर अभ्यर्थियों को जमा कर पेपर हल करवाया था। स्नातक स्तरीय भर्ती मामले में गिरफ्तार छह आरोपियों पर इन दोनों परीक्षाओं को लीक करने में भी शामिल होने का संदेह है।सूत्रों के अनुसार, इन दोनों परीक्षाओं में भी नकल का तरीका, स्नातक स्तरीय परीक्षा वाला अपनाया गया। इसमें कीमत लगाने वाले अभ्यर्थियों को परीक्षा से ठीक एक दिन पहले देहरादून के करनपुर में एक सेंटर पर जमा किया गया। जहां उन्हें सभी प्रश्नों के उत्तर रटाए गए। चूंकि दोनों परीक्षाओं में कम पद के कारण आवेदक सीमित थे, इसलिए तब परीक्षा माफिया इसे आसानी से रफा दफा करने में कामयाब रहा। इसके बाद यही तरीका स्नातक स्तरीय परीक्षा में अपनाया गया, लेकिन इसमें ज्यादा पद और ढाई लाख आवेदक होने के कारण पेपर आउट का दायरा भी बढ़ गया। जिस कारण माफिया की पोल खुल गई। सूत्रों के अनुसार, उपरोक्त दो परीक्षाओं में से ज्यादा गोलमाल सचिवालय सुरक्षा में हुआ है, इसमें मैरिट 90 प्रतिशत के पार चली गई थी।

जबकि सामान्य तौर पर मैरिट 80 तक ही रहती है। ज्यादातर सफल अभ्यर्थियों का पिछली परीक्षाओं का रिकॉर्ड भी कमजोर है, इस कारण आयोग ने गत 22 मार्च को रिजल्ट जारी करने के बाद इस प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया। इसमें अभी दस्तावेज सत्यापन नहीं हो पाया है, इस कारण नियुक्ति नहीं दी जा सकी है। आयोग ने ही इस प्रकरण की जानकारी, एसटीएफ को दी थी।

नियुक्त अभ्यर्थी भी आए जांच के दायरे में
डीजीपी ने 2021 में हुई अधीनस्थ न्यायालयों में कनिष्ठ सहायक की भर्ती मामले की भी एसटीएफ जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में सभी 272 चयनितों को नौकरी दी जा चुकी है। जिसमें से तीन चयनित स्नातक स्तरीय परीक्षा का पेपर बेचने के आरोप में गिरफ्तार हो चुके हैं। इस तरह यह पहली परीक्षा साबित हो रही है, जिसमें नौकरी मिलने के बाद जांच बैठ रही है। चयनित युवा अभी प्रोबेशन पीरियड पर हैं। आयोग के सचिव एसएस रावत के मुताबिक इस मामले में यदि जांच रिपोर्ट किसी कर्मचारी के खिलाफ आती है तो आयोग उनके खिलाफ कार्यवाई की सिफारिश कर सकता है।

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