
टिहरी
पहाड़ की बेटी किरण ने नीट परीक्षा में तीसरे प्रयास में 617 अंक हासिल कर ऐसे लोगों के लिए मिसाल पेश किया है। जो सारी सुविधाओं और अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ने के बाद भी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। किरण टिहरी के हिंदी मीडियम स्कूल से पढ़कर डॉक्टर बनने का सपना लेकर देहरादून आई, लेकिन जब नीट की तैयारी करने लगी तो एजुकेशन सिस्टम को लेकर घबरा गई। जिस माहौल में किरण ने पढ़ाई की, उसमें और अंग्रेजी सिलेबस की पढ़ाई में जमीन आसमान का अंतर मिला।किरण अपने परिवार में बच्चों में सबसे बड़ी हैं, जो कि ऋषिकेश में रह रही हैं। पिता राम सिंह पंवार यूरोप में शेफ हैं। मां गुड्डी गृहिणी हैं। छोटा भाई जसविंदर अभी बारहवीं में पढ़ रहा है। किरण ने 2019 में विद्या मंदिर चमियाला से 86 प्रतिशत अंक के साथ इंटर किया। स्कूल पहुंचने के लिए किरण को 1 किमी से भी ज्यादा पैदल जाना पड़ता था। उसके बाद वह मेडिकल की तैयारी में जुट गई। पहली बार 200 और दूसरी बार 530 अंक आए। किरण ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी मंजिल को पाने में जुटी रहीं।
पहाड़ के एजुकेशन सिस्टम में बहुत बदलाव की जरूरत है
धीरे-धीरे बलूनी क्लासेज से हेल्प लेकर अपना स्तर सुधारने की कोशिश की। दो साल तक सलेक्शन नहीं हुआ तो थोड़ा घबराई जरूर लेकिन दूसरे साल मार्क्स अच्छे आए तो सबने एक बार फिर मेडिकल की तैयारी करने दी। इस बीच बलूनी क्लासेज के सुपर 50 बैच में सलेक्शन हो गया तो फीस भी कम हो गई। बलूनी क्लासेज के प्रबंध निदेशक विपिन बलूनी का कहना है कि प्राइवेट स्कूल या अंग्रेजी माध्यम से नहीं बल्कि सफलता परिश्रम, लग्न व दृढ़ निश्चय के बूते मिलती है। किरण ने यह साबित कर दिखाया है। पहाड़ की बेटी किरण को अपनी सफलता में नाज है लेकिन वे पहाड़ के एजुकेशन सिस्टम से बहुत चिंतित हैं। वे ऑल इंडिया लेवल में एडमिशन लेना चाहती हैं। साथ ही उनकी पहली प्राथमिकता महिला एवं पसूति विशेषज्ञ बनने की है। उन्होंने कहा कि वे अपने पहाड़ के लिए कुछ करना चाहती हैं। जिस तरह यहां का एजुकेशन सिस्टम है, उसमें पहले तो बच्चों को ये ही पता नहीं रहता है कि उन्हें करियर कैसे चुनना है। जब तक पता चलता है तब तक कम्पटीशन बढ़ता चला जाता है। ऐसे में पहाड़ के एजुकेशन सिस्टम में बहुत बदलाव की जरूरत है।