उत्तराखंड के चंपावत में दिखा दुर्लभ प्रजाति का जीव पैंगोलिन , जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों में है कीमत

उत्तराखंड

उत्तराखंड के चंपावत जिले के ऐडीसेरा छतकोट में रात के अंधेरे में एक दुर्लभ प्रजाति का पैंगोलिन (Pangolin) आबादी क्षेत्र में आ पहुंचा। इसे भारत में सल्लू सांप, चीटींखोर भी कहा जाता है। पैंगोलिन मिलने से इसे देखने और उसके साथ सेल्फी लेने वालों की भीड़ लग गई। लोगो की बढ़ती भीड़ को देखते हुए स्थानीय लोगों ने पैंगोलिन को पकड़ कर वन क्षेत्र में छोड़ दिया। जानकारी के मुताबिक पैंगोलिन की कीमत (Pangolin Price) करोड़ों रुपये में है। चीन में इसके एक किलो मांस की कीमत ही करीब 30 हजार रुपये है। वहीं इसकी हड्डियों और मांस का इस्तेमाल कई तरह की दवाओं को बनाने में किया जाता है, जिसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल चीन (China) में होता है। इससे यौनवर्धक दवाएं (Sex Enhancer Drugs) भी बनाए जाने की चर्चा है।ऐडीसेरा छतकोट में देर रात जंगल से निकल कर एक पेंगोलिन भटकता हुआ राजेंद्र सिंह के घर के पास पहुंच गया। घर के आस-पास अनोखे जानवर को देखकर ग्रामीण आश्चर्य में पड़ गए। राजेंद्र सिंह ने जिसकी जानकारी अन्य ग्रामीणों को दी। अनोखे जानवर को पहली बार गांव में देखकर ग्रामीणों में उत्सुकता के चलते भीड़ लग गई। पेंगोलिन जीव नेपाल, श्रीलंका, भूटान व को भारत के पहाड़ी और हल्के मैदानी क्षेत्रों में पाया जाता है। भारत में इसे सल्लू सांप भी कहा जाता है, यह एक विलुप्त दुर्लभ प्रजाति का जीव है जो ज्यादातर एशिया व अफ्रीका में पाया जाता है।

दुनिया में सबसे ज्यादा पैंगोलिन की तस्करी

अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करोड़ों रूपये में होने के कारण पेंगोलिन की तस्करी भी की जाती है। खास तौर पर इसकी डिमांड चीन में ज्यादा है जो इसे दवा बनाने में इस्तेमाल करते है। बताया जाता है कि पैंगोलिन धरती पर लगभग 60 मिलियन सालों से महज चीटियां खाकर अपना जीवन यापन करता आ रहा है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की माने तो दुनियाभर में वन्य जीवों की अवैध तस्करी के मामले में अकेले ही 20 फीसदी योगदान पैंगोलिन का है। यह एक ऐसा जीव है, जिसकी तस्करी पूरी दुनिया में सबसे अधिक होती है।

जंगल में पैंगोलिन को सुरक्षित छोड़ा

गांव के युवा मुकेश बोहरा ने बताया कि उन्होंने डरते-डरते अन्य युवाओं के सहयोग से बड़ी मशक्कत कर पैंगोलिन को एक कट्टे (बोरे) में डाला। वहीं ग्रामीणों ने पैंगोलिन के साथ काफी सेल्फी ली और जिसके बाद गांव के युवाओं राकेश, सचिन, रोहित, सुमित, सुनील ने पैंगोलिन को जंगल छोड़ दिया।

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