
उत्तराखंड
प्रदेश में अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे समाज कल्याण विभाग के मंत्री चंदनरामदास ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की कमी के बीच छात्रवृत्ति घपले के आरोप में सात जिला समाज कल्याण अधिकारी एवं इससे बड़े स्तर के अधिकारी जेल में हैं। अब विभागीय काम पर इसका असर पड़ रहा है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से होने वाली 30 सहायक समाज कल्याण अधिकारियों की नियुक्ति भी लटक गई है।समाज कल्याण मंत्री के मुताबिक विभाग में 95 सहायक समाज कल्याण अधिकारियों की जरूरत है। इसके विपरीत मात्र 48 अधिकारियों से काम लिया जा रहा है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से 30 सहायक समाज कल्याण अधिकारी विभाग को मिलने थे। आयोग के भर्ती विवाद के चलते ये सभी नियुक्तियां लटक गईं हैं।प्रदेश में जिला समाज कल्याण अधिकारियों के भी अधिकतर पद खाली हैं। 13 जिला समाज कल्याण अधिकारियों में से मात्र चार कार्यरत हैं। मंत्री ने कहा कि विभाग के कुछ अधिकारी जेल में हैं। छात्रवृत्ति घपले की विजिलेंस और एसआईटी दोनों जांचें चल रही हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस प्रकरण में अभी कुछ अन्य अधिकारी जेल जा सकते हैं। मंत्री के मुताबिक विभाग में अधिकारियों की कमी को दूर किया जा सके इसके प्रयास किए जा रहे हैं। विभाग में सात जिलों में जिला समाज कल्याण अधिकारियों की तैनाती के लिए विभाग की ओर से लोक सेवा आयोग को प्रस्ताव भेजा गया है। यदि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से भर्ती का मामला जल्द न सुलझा तो 30 सहायक समाज कल्याण अधिकारियों की भर्ती के प्रस्ताव को भी राज्य लोक सेवा आयोग को भेजा जाएगा। समाज कल्याण मंत्री चंदनरामदास ने कहा कि आयुष विभाग में 52 क्लर्क सरप्लस हैं। समाज कल्याण विभाग में कर्मचारियों की कमी को देखते हुए इन कर्मचारियों को विभाग में लिए जाने पर विचार किया जा रहा है। समाज कल्याण मंत्री ने कहा कि विभाग में आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से कर्मचारी रखे जाएंगे। सरकार ने सेवायोजन विभाग को भी आउटसोर्स एजेंसी घोषित किया है।