
टिहरी
प्रकाश पर्व दीपावली को लेकर भगवान बदरी विशाल के मंदिर को 12 क्विंटल फूलों से सजाया गया है. इससे मंदिर की छटा देखते ही बन रही है. दीपावली के पर्व पर भगवान नारायण की विशेष पूजा की जाती है. वहीं, धाम में मौसम बदलने के साथ कड़ाके की ठंड भी शुरू हो गई है. हालांकि, बदरी विशाल के दर्शन के लिए धाम में देश के अलग-अलग हिस्सों से पहुंच रहे हैं और श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह देखा जा रहा है.भगवान बदरीनाथ मंदिर को धनतेरस से एक दिन पहले से ही सजाने का कार्य शुरू कर दिया गया था. बदरीनाथ पहुंचे श्रद्धालु गेंदे के फूलों से सजाए गए मंदिर की तस्वीरों को अपने कैमरों में कैद कर रहे हैं. दीपावली पर श्रद्धालु भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी मां की विशेष पूजा के लिए बदरीनाथ धाम पहुंचते हैं.दीपावली के पर्व (Deepawali Festival 2022) पर बदरीनाथ मंदिर परिसर में स्थित लक्ष्मी मंदिर में पूजा का अपना बड़ा महत्व हैं. हर साल दीपावली के पर्व पर भगवान बदरी विशाल के मंदिर को गेंदे के फूलों से सजाया जाता है. मंदिर परिसर में स्थित माता लक्ष्मी मंदिर में दीपावली के पर्व पर विशेष पूजा की जाती है. बदरीनाथ मंदिर में दीपोत्सव (Deepawali in Badrinath Dham) भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. आगामी 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण 2022 के चलते सूतक के कारण अन्य मंदिरों की तरह ही बदरीनाथ धाम के मंदिर भी शाम 4:26 से 5:32 तक बंद रहेगा. गौर हो कि 19 नवंबर को शाम 3 बजकर 35 मिनट पर भगवान बदरी विशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे.बदरीधाम में बदरीनारायण भगवान के पांच स्वरूपों की पूजा अर्चना होती है. विष्णु के इन पांच रूपों को ‘पंच बद्री’ के नाम से जाना जाता है. भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर आदिगुरू शंकराचार्य ने चारों धाम में से एक के रूप में स्थापित किया था. यह मंदिर तीन भागों में विभाजित है, गर्भगृह, दर्शनमंडप और सभामंडप. शंकराचार्य की व्यवस्था के अनुसार, बदरीनाथ मंदिर का मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य से होता है. बदरीनाथ की यात्रा का मौसम हर साल छह महीने लंबा होता है, जो अप्रैल से शुरू होता है और नवंबर के महीने में समाप्त होता है.