भारतरत्न अटलजी और वीर चंद्रसिंह गढ़वाली सबके प्रेरक

टिहरी

राष्ट्रोक्ति, पर्वतीय लोकविकास समिति और हिम उत्तरायणी पत्रिका द्वारा पूर्वी दिल्ली स्थित दिल्ली पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट के सभागार में स्वाधीनता सेनानी वीर चंद्र सिंह गढ़वाली और पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मजयंती पर एक विचार गोष्ठी और नागरिक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि शीर्ष शिक्षाविद् और कुमाऊं विवि. एवं गढ़वाल विवि. के पूर्व कुलपति प्रो.बलवंत सिंह राजपूत ने कहा कि अटलजी का व्यक्तित्व अजातशत्रु नेता का रहा है,महाभारत के युधिष्ठिर की तरह अटल बिहारी वाजपेयी की इमेज भारतीय राजनीति में अजातशत्रु नेता की है । अटल जी लोकप्रिय राजनेता सिद्ध हुए वो अलग बात है लेकिन वास्तव में वो राष्ट्र सेवा के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे , वे दिल से कभी राजनीति से नहीं जुड़े और इस बात को वे जीवन के अंत तक और राजनीति के चरमोत्कर्ष पर पहुँचने तक भी सार्वजनिक करते रहे कि मुझे राजनीति बिल्कुल रास नहीं आती।
इसी प्रकार वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने देश की रक्षा के लिए भारतीय सेना से जुडने के लिए पहाड़ की कई पीढ़ियों को प्रेरणा देने का काम किया है । बुद्धि विवेक,सच्चाई,ईमानदारी और कर्मठता की पर्याय देवभूमि के लोगों के लिए अटल जी और गढ़वाली जी दोनों ही विभूतियाँ सदैव प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए डोबरा चांठी पुल आंदोलन के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता चार्टर्ड अकाउंटेंट राजेश्वर पैन्यूली ने कहा कि अटल जी मानवीय संवेदना से युक्त जननेता ,गठबंधन राजनीति के कुशल विशेषज्ञ,उत्तराखंड राज्य के जनक और देश में बड़े तकनीकी और आर्थिक सुधार के पुरोधा कहे जा सकते हैं। महायोद्धा चंद्रसिंह गढ़वाली हमारे साहस और वीरता के पर्याय पुरुष और समूचे देश को पअराक्रम और बलिदान की सीख देने वाले आदर्श व्यक्तित्व हैं।
पौड़ी से आए वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन डांगी ने कहा कि अच्छा लगता है जब हमारे सजग लोग दिल्ली जैसे महानगरों में उत्तरायणी,हरेला और शीर्ष महापुरुषों को याद करने के लिए ऐसे आयोजन करते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से उत्तराखंड में इन विषयों को लेकर कोई सक्रियता और उत्साह नहीं दिखाई पड़ता। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम पर उत्तराखंड सरकार की दर्जनों योजनाएं हैं,देश के रक्षामंत्री प्रतिवर्ष गढ़वाली जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने श्रीनगर पहुंचते हैं लेकिन पौड़ी में गढ़वाली जी की प्रतिमा पूरे दस वर्ष से लोकार्पण के लिए तरस रही है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए डीपीएमआई के चेयरमैन और भाजपा मयूर विहार जिला के अध्यक्ष डॉ.विनोद बछेती ने कहा कि अटलजी ऐसे राजनेता थे जिन्हें पक्ष से ज्यादा विपक्ष के लोग मानते थे । एक वोट से सरकार गिर गई लेकिन अटलजी ने कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया । इसी तरह पेशावर के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जी ने अंग्रेजों के फरमान का खुला विरोध कर निर्दोष नागरिकों पर बंदूक न चलाकर भारत की आजादी के लिए जनसामान्य को प्रेरित किया ।
स्वागत वक्तव्य देते हुए भारत सरकार के पूर्व राज्यमंत्री,सुप्रसिद्ध उद्योगपति और पर्वतीय लोकविकास समिति के अध्यक्ष श्री वीरेंद्र दत्त सेमवाल ने कहा कि अंग्रेजों उत्पीड़न और अत्याचार की परवाह किए बिना गढ़वाल राइफल के सैन्य अधिकारी परमवीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने पेशावर में निहत्थे नागरिकों पर गोलियां न बरसाकर जुल्म के विरुद्ध क्रांति की प्रेरणा दी। इसी तरह देश के लोकप्रिय और अजातशत्रु नेता भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने सत्ता को बचाए रखने के लिए भ्रष्टाचार का सहारा न लेकर एक आदर्श ,ईमानदार ,त्यागी और पारदर्शी राजनेता का उदाहरण दिया।
इस अवसर पर विशिष्ट योगदान देने वाली प्रतिभाओं को अटल गौरव सम्मान और पूर्व सैनिकों एवं सुरक्षाकर्मियों को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया । शिक्षाविद डॉ.विमल बलोदी,प्रशासक विनोद तिवारी,पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता मंगल सिंह नेगी,वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन डांगी,लेखिका रामेश्वरी नादान ,कवि बीर सिंह राणा,सामाजिक कार्यकर्ता दिग्पाल कैंतुरा,और हनुमंत सिंह बिष्ट को अटल गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया । वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सम्मान से सम्मानित लोगों में गढ़वाल राइफल के पूर्व सैनिक हुकम सिंह टोपाल, सीआरपीएफ के पूर्व अधिकारी दीवान सिंह बंगाड़ी और मध्य प्रदेश पुलिस के पूर्व अधिकारी दुर्गादत्त पांडेय सम्मिलित हैं। इस अवसर पर युवा कवि बीर सिंह राणा ने पहाड़ के गांधी हिमालय गौरव इंद्रमणि बडोनी को समर्पित सुंदर कविता प्रस्तुत की ।
समारोह का संचालन करते हुए पर्वतीय लोकविकास समिति के राष्ट्रीय संयोजक प्रो.सूर्य प्रकाश सेमवाल ने कहा कि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली भारतीय स्वाधीनता के प्रेरक महायोद्धा हैं,दुर्भाग्य से दुराग्रही इतिहासकारों ने जिस प्रकार देशभर के स्वातंत्र्यवीरों की अनदेखी की है ,उसके सर्वाधिक शिकार पर्वतीय क्षेत्र की विभूतियाँ हुई हैं । चाहे श्रीदेव सुमन हों अथवा वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जैसे दर्जनों बलिदानी उनको इतिहास में अपेक्षित स्थान और सरकारों द्वारा भी उचित सम्मान नहीं मिला । भारतीय राजनीति के कालजयी लोकप्रिय राजनेता और उत्तराखंड राज्य के निर्माता और नीति नियंता भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान को सदैव स्मरण किया जाएगा।
प्रो. सेमवाल ने कहा कि पर्वतीय लोकविकास समिति विगत दो दशक से हिमालयी सरोकारों और पर्यावरण चेतना के साथ देवभूमि की मातृशक्ति और युवाशक्ति के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। 2005 से उत्तरायणी को राष्ट्रीय अभियान बनाने के साथ लोक सेवा आयोग उत्तराखंड में मूल निवासी अभ्यर्थियों की आयु सीमा 42 वर्ष करवाने,टिहरी बांध के ऊपर से सार्वजनिक यातायात,डोबरा चांठी पुल और पांचवां धाम खतलिंग जैसे गंभीर मामलों के समाधान की माध्यम बनी है। समिति के माध्यम से पौड़ी में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जी की प्रतिमा को शीघ्र से शीघ्र भारत सरकार और राज्य सरकार के संज्ञान में लाकर शीघ्र इसके समाधान का प्रयास किया जाएगा ।

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