बात पत्ते की -विक्रम बिष्ट

उत्तराखंड

अपना देवभूमि उत्तराखंड
काले-काले दाने, सभी खाने हैं
यह किस्सा पुराना है। कुछ चटपटा मसाला हो सकता है। पड़ोस के गांव से भागकर बम्बई जा पहुंंचा एक बालक वर्षों बाद भटकता हुआ वापस लौट रहा था। रास्ते के साथ-2 उसने एक ग्रामीण से झाड़ियों की ओर इशारा कर उसके बारे में भी पूछ लिया। जवाब मिला किनगोड़ है। इसके फल खाते हैं। उसने पूछा, सभी? ग्रामीण ने बताया पके हुए काले-2 सभी। ,
भूखा, प्यासा तो धा ही, रसीले फलों से लकदक किनगोड़ की झाड़ी। दानों के बराबर आकार के काले कीट भी रसभोग में मस्त । वह मुठ्ठी भर-2 बीनता और मजे से चबाता। मुंहं से चूं – चूं की आवाजेंं आतींं। चूं करो चां करो , काले-काले दाने सब खाने हैं।
कभी समाप्त न होने वाली भूख से पीड़ित समर्थ वर्ग उत्तराखण्ड के साथ यही व्यवहार कर रहा है ?

Epostlive.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *