
उत्तराखंड
इसरो द्वारा हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट ने उत्तराखंड को चिंता में डाल दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले को देश में भूस्खलन से सबसे अधिक खतरा है।वहीं भूस्खलन जोखिम के मामले में देश के 10 सबसे अधिक संवेदनशील जिलों में टिहरी दूसरे स्थान पर है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के राष्ट्रीय सुदूर संवेदी केंद्र (एनआरएससी) की हाल ही में जारी भूस्खलन मानचित्र रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में भूस्खलन जोखिम विश्लेषण किया गया है। इसके अनुसार, सर्वाधिक भूस्खलन प्रभावित 147 जिलों में उत्तराखंड के सभी 13 जिले शामिल हैं। इनमें चमोली जिला भूस्खलन जोखिम के मामले में देश में 19वें स्थान पर है। उत्तरकाशी देश में 21वें स्थान पर है। पौड़ी गढ़वाल की 23वीं और देहरादून जिले की 29वीं रैकिंग हैं।
एनआरएससी के भूस्खलन जोखिम विश्लेषण में 146 जिलों में पड़ोसी राज्य हिमाचल के 11 जिले शामिल हैं। हिमाचल में भूस्खलन से सबसे अधिक खतरा मंडी जिले में है। देश में इस जिले की रैंक 16वीं है। 25वें स्थान पर हमीरपुर, 30वें स्थान पर बिलासपुर, 32 स्थान पर चंबा, 37वें स्थान सोलन, 46वें स्थान पर किन्नौर, 57वें पर कुल्लू, 61वें पर शिमला, 70वें पर ऊना, 88वें पर सिरौमर और 126वें स्थान पर लाहौल स्पिति है।जम्मू और कश्मीर के भी 14 जिले भूस्खलन जोखिम वाले जिलों की सूची में शामिल हैं। इनमें राजौरी देश का चौथा और पुंछ छठा सबसे अधिक भूस्खलन प्रभावित जिला है। इनके अलावा 14वें स्थान पर जम्मू, 17वें पर ऊधमपपुर, 27वें पुलवामा, 42वें कठुवा, 52वें अनंतनाग, 58वें पर बारामुला, 79वें पर डोजा, 98 वें पर श्रीनगर, 119वें पर बड़गम, 123वें कारगिल, 132वें पर कारगिल और 136वें स्थान पर लेह लद्दाख जिला है। देश में सबसे अधिक भूस्खलन घनत्व वाला जिला रुद्रप्रयाग है। यानी भूस्खलन से इस जिले को सबसे अधिक सामाजिक और आर्थिक क्षति होने का खतरा है।