भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 की लैंडिंग से रचेगा इतिहास, आख़िरी के 15 मिनट हैं सबसे अहम

उत्तराखंड

भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 इतिहास रचने से महज कुछ कदम ही दूर है. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की तरफ से चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारी जारी है. इसरो ने बताया कि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से लैस लैंडर मॉड्यूल अब ऑर्बिट में और नीचे आने के लिए तैयार है. कल यानी 23 अगस्त को लैंडर विक्रम चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. जिसकी तैयारी इसरो ने पूरी कर ली है. अगर बुधवार को लैंडिंग सफल हो जाती है तो भारत विश्व भर में चौथा देश बन जाएगा, जो चांद पर सफलतापूर्वक उतरेगा.

भारत का मिशन मून चंद्रयान-3 हर मुश्किल और चुनौतियों को पार करते हुए अपनी मंजिल के बहुत करीब पहुंच चुका है. चांद पर लैंडिंग में अब महज गिनती के कुछ घंटे बचे हुए हैं. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के मुताबिक चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर 23 अगस्त की शाम को 6 बजकर 04 मिनट पर चांद पर लैंड करेगा. अभी विक्रम लैंडर लैंडिंग के सुरक्षित जगह ढूंढ रहा है, जहां न तो बोल्डर्स और न ही खाई हो. 14 जुलाई से लेकर अब तक चंद्रयान-3 का सफर सफल रहा है.

बीते सोमवार को इसरो ने जानकारी देते हुए बताया कि चंद्रयान-3 के लैंडर ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से संपर्क किया है. वहीं इसरो के एक वैज्ञानिक ने कहा है कि अगर लैंडिंग में किसी तरह की परेशानी आती है तो हम लैंडिंग की तारीख 23 अगस्त से बढ़ाकर 27 अगस्त कर सकते हैं. हालांकि अभी तक सभी लोग चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग को लेकर आश्वस्त हैं. बीते 17 अगस्त से चंद्रयान-3 की लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हुई है. बीते सोमवार को इसरो ने लैंडर द्वारा भेजी गई चांद की नई तस्वीरों को शेयर किया था.

इसरो के पूर्व चैयरमेन के सिवन के मुताबिक, चंद्रयान-2 में जो खामिया थीं, उसे भी ध्यान में रखकर इसबार इस मिशन की सफलता से जोड़ा गया है. हमने चंद्रयान-2 से बहुत कुछ सीखा है. इस बार तैयारी पूरी की है. वो सही समय पर उतरे उसके लिए काम किया है. इस बार सही कदम उठाए गए हैं जो गलतियां चंद्रयान-2 में हुई थीं वो इस बार नहीं होंगी.

लैंडर विक्रम के कंधों पर है जिम्मेदारी

चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग के लिए ISRO ने जी जान लगा दी है. लेकिन इस सॉफ्ट लैंडिंग में एक मौका ऐसा भी है. जब इसरो का खुद चंद्रयान पर कंट्रोल नहीं होगा. दरअसल इस सॉफ्ट लैंडिंग में आखिरी के 15 मिनट बेहद अहम होने वाले हैं. आखिरी के 15 मिनट के टेरर से निपटने के लिए इसरो इस बार पूरी तरह तैयार है क्योंकि यही वो आखिरी 15 मिनट होंगे जब लैंडर और रोवर को इसरो के कंट्रोल रूम से कोई कमांड नहीं दी जा सकेगी. लैंडर विक्रम को अपनी सुरक्षित और सफल सॉफ्ट लैंडिंग के लिए खुद ही कुछ काम करने होंगे यानी लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट के वक्त सारी जिम्मेदारी लैंडर विक्रम के कंधों पर होगी. इस समय सही ऊंचाई, सही मात्रा में फ्यूल का इस्तेमाल लैंडिंग के लिए करना होगा.

लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट होंगे बेहद अहम

फिलहाल चंद्रयान-3 चांद से न्यूनतम 25 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगा रहा है. 23 अगस्त की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 चांद के उस हिस्से पर लैंड करेगा. जहां दुनिया का कोई भी मुल्क नहीं पहुंच सका है. 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा. चंद्रयान 3 की लैंडिंग में आखिरी 15 मिनट बेहद अहम होने वाले हैं. ISRO के मुताबिक, यही वो आखिरी 15 मिनट हैं जब लैंडर और रोवर को इसरो के कंट्रोल रूम से कोई कमांड नहीं दी जा सकेगी.

बदल सकती है लैंडिंग की तारीख

चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए ISRO ने तैयारी पूरी कर ली है. इसरो का कहना है कि चंद्रयान के चांद पर उतरने से 2 घंटे पहले लैंडर और चांद की स्थिति का जायजा लिया जाएगा. चंद्रयान के सॉफ्ट लैंडिंग को ISRO में गंभीर मंथन जारी है. लूना-25 के फेल होने के बाद अब चंद्रयान पर दुनिया भर की निगाहें हैं. ISRO की ओर से बयान आया है कि सॉफ्ट लैंडिंग से दो घंटे पहले चांद और लैंडर की स्थिति का जायजा लिया जाएगा और अगर स्थिति उतरने के लिए ठीक नहीं होगी तो इसे 27 अगस्त तक के लिए आगे बढ़ा दिया जाएगा.

चांद पर होगी अशोक स्तंभ की छाप

23 अगस्त की शाम को चंद्रयान-3 के लैंडर को 25 किमी की ऊंचाई से चांद की सतह तक पहुंचने में करीब 15 से 20 मिनट लगेंगे. यही समय सबसे क्रिटिकल होने वाला है. इसके बाद विक्रम लैंडर से रैंप के जरिए 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और इसरो से कमांड मिलते ही चांद की सतह पर चलेगा. इस दौरान इसके पहिए चांद की मिट्टी पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ेंगे.

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