गंगोत्री धाम के कपाट मंगलवार को अन्नकूट पर्व के दौरान किए गए बंद,मुखवा के लिए रवाना हुई मां गंगा की डोली

उत्तरकाशी:
उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट मंगलवार को अन्नकूट पर्व पर विधिवत पूजा- अर्चना के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. इसके बाद मां गंगा की उत्सव डोली शीतकालीन पड़ाव मुखीमठ मुखबा के लिए रवाना हुई. सर्दियों में छह माह मंदिर के बंद रहने के दौरान श्रद्धालु मां गंगा की पूजा-अर्चना उनके शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा में कर सकेंगे. बता दें कि हर साल अप्रैल-मई में चारों धामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं और अक्टूबर-नवंबर में कपाट को शीतकाल के लिए बंद कर दिया जाता है.गंगोत्री मंदिर समिति के सूत्रों ने बताया कि वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां गंगा की विधि विधान से पूजा अर्चना करने के बाद मंदिर के कपाट अपराहन 11 बज कर 45 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।

इस मौके पर गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान और मंदिर के धर्माधिकारियों के अलावा हजारों श्रद्धालु भी मौजूद थे। इस दौरान तीर्थ पुरोहित लगातार गंगा लहरी का पाठ करते रहे। कपाट बंद होने के बाद डोली में सवार होकर गंगा की भोगमूर्ति जैसे ही मंदिर परिसर से बाहर निकली, तो पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा। बैंड की धुन और परंपरागत ढोल दमाऊ की थाप के साथ तीर्थ पुरोहित गंगा की डोली को लेकर उनके शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा गांव के लिए पैदल रवाना हुए।

इस यात्रा सीजन में रिकार्ड नौ लाख से ज्यादा श्रद्धालु गंगोत्री धाम के दर्शन के लिए पहुंचे। बुधवार को भैया दूज के अवसर पर केदारनाथ तथा यमुनोत्री के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे जबकि बदरीनाथ के कपाट 18 नवंबर को बंद होंगे। सर्दियों में बर्फबारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण चारधामों के कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं जो अगले साल अप्रैल-मई में फिर खोल दिए जाते हैं।

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