
उत्तराखंड
द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर मंदिर के कपाट आज बुधवार को सुबह 8.30 बजे शुभ लग्न पर विशेष पूजा-अर्चना के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। दानी-दाताओं के सहयोग से मंदिर को पांच क्विंटल फूलों से सजाया गया है। अब द्वितीय केदार मद्महेश्वर चल उत्सव डोली में विराजमान होकर मंदिर की परिक्रमा और अपने ताम्र पात्रों के निरीक्षण करते हुए शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी। इसके बाद वह पहले रात्रि प्रवास पर गौंडार गांव पहुंचेंगे। जहां पर ग्रामीणों द्वारा अपने आराध्य को सामूहिक अर्ध्य लगाया जाएगा। 23 नवंबर को डोली रांसी गांव पहुंचेगी। जबकि 25 को शीतकालीन गद्दीस्थल में विराजमान होगी।
सुबह चार बजे से शुरू हुई पूजा-पाठ
बुधवार सुबह चार बजे श्री मदमहेश्वर मंदिर खुला, भगवान मदमहेश्वर का अभिषेक जलाभिषेक पूजा हुई। साढ़े सात बजे तक श्रद्धालु दर्शन करते रहे उसके पश्चात पुजारी बागेश लिंग ने कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू की भगवान शिव एवं भैरव नाथ, की पूजा- अर्चना संपन्न हुई भगवान मदमहेश्वर के शंभू शिवलिंग को समाधि रूप दिया, स्थानीय फूलों- शुष्क पुष्पों राख से ढक दिया। इसके बाद महेश्वर की चल विग्रह डोली के सभामंडप से बाहर आते ही साढ़े आठ बजे मदमहेश्वर मंदिर के कपाट बंद कर दिये गये।
25 नवंबर को आयोजित होगा श्री मदमहेश्वर मेला
मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल ने कहा कि श्री मदमहेश्वर भगवान की चलविग्रह डोली के 25 नवंबर को श्रीओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचने पर मंदिर समिति तथा स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा स्वागत किया जायेगा।
23 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी। 24 नवंबर को गिरिया तथा 25 नवंबर को चल विग्रह डोली पंचकेदार गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी इसके साथ श्री मद्महेश्वर जी की शीतकालीन पूजाएं शुरु हो जायेंगी। 25 नवंबर को उखीमठ में मुख्य रूप से श्री मदमहेश्वर मेला आयोजित होगा।