
उत्तराखंड
प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए सरकार ने राजकीय मेडिकल कॉलेजों में पीजी की सीट बढ़ाने की योजना बनाई है। इसके लिए पीजी करने वाले डॉक्टरों को दो साल तक सीनियर रेजीडेंसी के रूप में सेवाएं देनी होगी। अभी तक यह अवधि एक साल के लिए थी।
उत्तराखंड में अब चिकित्सकों की कमी अब दूर होने वाली है। प्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी अब काफी हद तक दूर हो सकेगी। प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में पीजी सीट में सीनियर रेजिडेंट की कमी दूर करने के लिए मंत्रिमंडल ने बांड की शर्तों में शिथिलता दी है।
अब बांड धारक सीनियर रेजिडेंट की मेडिकल कॉलेजों में एक वर्ष के स्थान पर दो वर्ष तैनाती करने का निर्णय लिया गया है। राजकीय मेडिकल कॉलेजों में पीजी सीट की अनुमति के लिए सीनियर रेजिडेंट की कमी बड़ी बाधा बनी हुई है। वर्तमान में सीनियर रेजिडेंट चिकित्सकों की 60 से 70 प्रतिशत तक कमी है। इस कारण मेडिकल कॉलेजों में पीजी सीट को अनुमति मिलने में अड़चन आ रही है।
पीजी सीट की अनुमति नहीं मिलने से विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी की समस्या भी बनी हुई है। इस समस्या के समाधान के लिए राजकीय मेडिकल कॉलेजों से उत्तीर्ण परा-स्नातक चिकित्सकों को कॉलेज में ही दो वर्ष की सीनियर रेजीडेंसी करने की अनुमति देने पर मंत्रिमंडल ने सहमति दी। बांड धारक सीनियर रेजिडेंट के रूप में उनकी सेवाएं किसी भी मेडिकल कालेज में स्थानांतरणीय होंगी।
अभी सीनियर रेजिडेंट को एक वर्ष मेडिकल कॉलेज और एक वर्ष दुर्गम क्षेत्रों में सेवाएं देने की व्यवस्था लागू है। मंत्रिमंडल के निर्णय से सीनियर रेजीडेंट अब दो वर्ष तक मेडिकल कॉलेजों में ही सेवाएं दे सकेंगे।