
टिहरी
उत्तराखण्ड राज्य : अस्थाई राजधानी, स्थाई निवास तत्काल और बाकी सम्पदा का हिस्सा- किस्सा बाद में! यानी राहु,केतु और शनि सभी तभी एक साथ, सन् 2000 । तब से गंगा, यमुना, शारदा में अकूत जल बह गया है और इनकी संतानों के सपने भी।
इन ग्रहों की विनाशकारी शक्ति से जीतने के लिए मूल निवास, भू-कानून की लड़ाई तो लड़नी है। सनातन परंपरा में स्थान शुद्ध- मंत्र सिद्धि की सीख दी गई है। उत्तराखण्ड आंदोलन के दमन के लिए रचे गए खटीमा और मसूरी काण्ड के मूल में सिर्फ तबकी राजनीतिक खुन्नस नहीं थी। हल्द्वानी में जो कुछ हो रहा है, उत्तराखण्ड को इन लपटों से बचाने के लिए इसकी अपनी रीति-नीति ही कारगर है। उधार का कानून नहीं।
अपनी जमीन, अपना हक !
11 फरवरी को नई टिहरी।