
टिहरी
टिहरी बांध के चारों तरफ़ के “पैतृक घाटों” का पुनर्निर्माण करे सरकार
🔹 डबल इंजन की सरकार का ध्यान जनसरोकारो से कोशो दूर
🔹 टीचडीसी इंडिया लि.अपने समाजिक दायित्व के तहत इन पैतृक घाटों का रख रखवा करे !
: शान्ति प्रसाद भट्ट, प्रवक्ता उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी
टिहरी बांध की 42वर्ग किलोमीटर की झील के चारों तरफ़ और कोटेश्वर बांध की झील के चारों तरफ़ सदियों से भिलंगना और भागीरथी घाटियो में अलग अलग स्थानों पर पैतृक घाट चिन्हित थे, जहा किसी की मृत्यु पर उसका अंतिम संस्कार हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार किया जाता था।
किंतु टिहरी और कोटेश्वर बांध निर्माण के बाद बनी दोनों झीलों से असंख्य लोगों को उस वक्त भारी समस्या से जूझना पड़ता है जब किसी की मृत्यु होती है, और अंतिम संस्कार के लिए घाट पर मृत शरीर को लाया जाता है, चुकीं घाटों की स्थिति अत्यन्त खतरनाक है, कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है!
पहले तो धर्म घाट नही है, जो है भी उनकी स्थिति डेंजर है!
जीरो प्वाइंट, कोटी कालोनी, कोटेश्वरआदि स्थानों पर पैतृक घाट झील के जलस्तर घटने बढ़ने से स्थिति ख़तरनाक हो जाती है, कल्याणकारी सरकारों ने कभी भी इस लोकमहत्व की अत्यंत जरूरी समस्या का समाधान नही किया ।
टिहरी बांध परियोजना की कार्यदाई कंपनी टीएचडीसी इण्डिया लिमिटिड ने भी आधे अधूरे मन से यदा कदा इन पैतृक घाटों के लिए धन आवंटन तो किया, किंतु पुनर्वास निदेशालय मे वर्षों से जमे अधिकारियों ने इस लोकमहत्व के विषय पर गंभीरता से काम नही किया है, *यहां से निर्वाचित होते रहे विधायको और सांसदों को तो केवल वोट की भूख है, उन्हे तो इन समस्याओ* *से कोई सरोकार नहीं है* ।
आला अधिकारी रोज़ बैठको मे व्यस्त है, किंतु उनकी बैठके जनता के समझ से परे है।