
टिहरी
भौंकुछ – विक्रम बिष्ट
उत्तराखण्ड सन् 2024
सरकारी दफ्तर। अफसर के सामने नौकरी की उम्मीद में एक युवक।
अफसर- अच्छा-अच्छा आप उत्तराखण्ड के मूल निवासी हैं। कब से ?
युवक- सर , मेरे पिता, दादा, परदादा और…
अफसर – वेरी गुड, बहुत अच्छे लोग रहे होंगे। इसीलिए कहते हैं पहाड़ी लोग बहुत सीधे सादे होते हैं। वरना आप जैसे काबिल युवक को यहां उत्तराखण्ड में छोटी मोटी सरकारी नौकरी के लिए भटकना पड़ता।
युवक- जी मुझे यह नौकरी मिल सकती है।
अफसर- जरूर मिल सकती है, लेकिन आपका स्थाई निवास प्रमाण पत्र कहां है?
युवक- सर, मूल निवास प्रमाण पत्र तो दिया है।
अफसर- किस दुनिया में रहते हो। मूल निवासी होने से क्या होता है। आठ- दस साल पहले तो स्थाई के साथ मूल निवास भी चल जाता था। दुनिया कहां से कहां पहुंच गई है। आप लोग मूल से ही चिपके रहोगे तो उत्तराखण्ड का विकास कैसे होगा। देश 23 साल में पूरी तरह विकसित हो जाएगा।
युवक- सर! मेरे दादा जी उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी थे।
अफसर- अच्छा, तब तो आपके पिताजी को सरकारी नौकरी मिली होगी।
युवक- नहीं सर , सरकार ने मेरे दादा जी का आंदोलनकारी प्रमाण पत्र यहां के एक नेताजी के रिश्तेदार को आबंटित कर दिया था।
अफसर- बहुत गलत किया है। पर अब क्या कर सकते हैं। अब तो तुम्हारे जैसे योग्य युवाओं को अपने हकों के लिए आंदोलन करना पड़ सकता है।
युवक- लेकिन सर! दूसरे प्रदेशों में तो मूल निवास ..
अफसर- देखो बेटा, दूसरे प्रदेशों की बात अलग है। उत्तरखण्ड देवभूमि राज्य है। हमें इस पर गर्व होना चाहिए, बड़ा दिल दिखाना चाहिए। यह नौकरी किसी स्थाई निवासी के लिए ही है।…