मूल निवास भू कानून समन्वय सँघर्ष समिति ने विद्युत दरों में बढ़ोतरी को बताया जनविरोधी फैसला, नियामक आयोग को सौंपा ज्ञापन

देहरादून

मूल निवास भू कानून समन्वय सँघर्ष समिति ने विद्युत दरों में बढ़ोतरी को बताया जनविरोधी फैसला, नियामक आयोग को सौंपा ज्ञापन

“मूल निवास भू कानून समन्वय सँघर्ष समिति” के कार्यकर्ता विद्युत नियामक आयोग पहुंचे और बिजली दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया।

समिति के संस्थापक संयोजक मोहित डिमरी, संयोजक लुशुन टोडरिया, केंद्रीय सचिव मनोज कोठियाल, विपिन नेगी, राजेश भट्ट, सुदेश कुमार और अन्य सदस्यों ने अधिकारियों को एक ज्ञापन सौंपा ओर कहा कि अगर यह प्रस्तावित वृद्धि वापस नहीं ली जाती, तो राज्यभर में जन आंदोलन की शुरुआत की जाएगी।

समिति ने नियामक आयोग के उच्चाधिकारियों से मांग की कि प्रस्तावित बिजली दर वृद्धि को तत्काल वापस लिया जाए साथ ही मांग की कि उत्तराखंड के स्थायी निवासियों को “उत्पादक राज्य ओर ऊर्जा प्रदेश” के नाते विशेष दरों पर बिजली मिले।

समिति के संस्थापक संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि “हमारे जल, जंगल और जमीन से जो बिजली पैदा होती है, वही हमारे लिए दुर्लभ और महंगी बना दी गई है। यह उत्तराखंड के हित मे नही है, और इसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

समिति के संयोजक श्री लुशुन टोडरिया ने तीखा सवाल उठाते हुए कहा कि यह अत्यंत विडंबनापूर्ण है कि जिस उत्तराखंड ने देश को जलविद्युत संपदा दी, वही प्रदेश आज सबसे महंगी बिजली झेलने को मजबूर है। प्रदेश की जनता पर बार-बार बिजली दरों का बोझ डालना सरासर अन्याय है।”

बैठक में समिति के केंद्रीय सचिव श्री मनोज कोठियाल, श्री विपिन नेगी सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे। समिति ने आयोग से स्पष्ट रूप से मांग की कि इस प्रस्तावित वृद्धि पर तत्काल पुनर्विचार किया जाए और स्थायी निवासियों को विशेष राहत दी जाए।

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