प्रीतम पंवार के मायने- भाजपा को चौतरफा मजबूती।

विक्रम बिष्ट।

धनोल्टी के निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार को अपने पाले में लाकर भाजपा ने एक साथ कई निशाने साधने की कोशिश की है। भाजपा और कांग्रेस के मुकाबले सशक्त क्षेत्रीय विकल्प की संभावना को यह बड़ा झटका है।
पंवार उत्तराखंड क्रांति दल से दो बार यमुनोत्री से विधानसभा चुनाव जीते हैं। २०१२-१७ में वह तीन निर्दलीय विधायकों के साथ कांग्रेस की प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे। इस बीच उक्रांद ने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया था।
२००७ में उक्रांद के दिवाकर भट्ट भी भाजपा नीत सरकार में मंत्री रहे थे। पार्टी ने विधायक ओमगोपाल रावत के साथ उन्हें भी बेवजह बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
२०१७ में प्रीतम पंवार ने परम्परागत सीट यमुनोत्री की वजाए धनोल्टी सीट से चुनाव जीता। टिहरी गढ़वाल से प्रचण्ड मोदी लहर को रोकने वाले वह अकेले उम्मीदवार थे
धनोल्टी से आगामी चुनाव के लिए भाजपा टिकट के कई दावेदार हैं। यहां ज्यादा घमासान है। काफी समय से पंवार की पुनः यमुनोत्री से चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं। उनके समर्थक इस के लिए जुटे हुए हैं। यमुनोत्री से भाजपा के केदार सिंह रावत विधायक हैं। इसलिए अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
यह तय है कि पंवार के अपने व्यक्तिगत जनाधार का भाजपा को यमुनोत्री और धनोल्टी में लाभ मिलेगा। टिहरी सीट पर भी पंवार के चाहने वालों की अच्छी खासी तादाद है।
सबसे बड़ी बात, २०२४ के लोकसभा चुनाव के लिए टिहरी सीट के लिए भाजपा में एक दमदार चेहरा ?

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