नेगेटिव विचारों के भंवर में फंस गए हैं? एक्सपर्ट के बताए ये टिप्स आएंगे काम

ब्रिटेन के सर्रे की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ गुरप्रीत कौर बताती है कि क्यों हमारा मन हमें ही तबाह करने पर तुला रहता है?

रोजमर्रा की जिंदगी में हम कई बार नकारात्मक विचारों के भंवर में फंस जाते हैं. जबकि हमारे सामने सकारात्मक और नकारात्मक दोनों विचार होते हैं, लेकिन नकारात्मक विचार हमारे मन को आकर्षित कर लेते हैं. ये इस हद तक होता है कि हम उन्हीं के बारे में सोचते रहते हैं और ये हमारे मूड को प्रभावित करने लगे हैं. धीर-धीरे ये नकारात्मक विचार हमारी मानसिक सेहत पर असर डालने लगते हैं. डेली मेल में छपी न्यूज रिपोर्ट में ब्रिटेन के सर्रे (Surrey) की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ गुरप्रीत कौर (Clinical Psychologist Dr Gurpreet Kaur) बताती है कि क्यों हमारा मन हमें ही तबाह करने पर तुला रहता है? वे कहती हैं कि ऐसा नकारात्मक पूर्वाग्रह (negative bias) की वजह से होता है, जिसमें लोग सकारात्मक विचारों (positive thoughts) की तुलना में नकारात्मक विचारों पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं. हालांकि इस व्यवहार को बदला और बेहतर किया जा सकता है.

डॉ कौर के मुताबिक ‘हम स्वाभाविक रूप से नकारात्मकता की ओर देखने के लिए जल्दी तैयार हो जाते हैं. हो सकता है कि ऐसा हमारी पृष्ठभूमि के कारण हो. क्योंकि हमें इंसान के रूप में खुद को जीवित और सुरक्षित रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी है. इसलिए हम किसी चीज की सकारात्मकता की बजाय उसके खतरे की ओर अधिक देखते हैं.’

मन की निगरानी करना सीखने की जरूरत

इसका मतलब है कि हमारा मन सोचता है कि नकारात्मक विचारों पर स्थिर होना मददगार हो सकता है, जबकि वास्तविकता में इसका उल्टा होता है. डॉ कौर के मुताबिक, ‘हो सकता है कि हमारा मन हमें सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहा हो, इसलिए हमें इसकी निगरानी करना सीखने की जरूरत है, कई बार मन कुछ ऐसा कर रहा होगा, जो उपयोगी नहीं है. इसलिए उसे टोकने की जरूरत होती है .हमें मन को ये संदेश देने की जरूरत है कि ये उपयोगी नहीं है.’डॉ कौर बताती हैं, ‘जब इन नकारात्मक विचारों के पैटर्न को बदलने की बात आती है, तो लोग आसान सा उपाय आजमा सकते हैं. उन्हें सकारात्मकता पर ध्यान देने की कोशिश करना है. क्योंकि ब्रेन को ये सिखाया जाना चाहिए कि सकारात्मक के बारे में सोचना सुरक्षित है.’

डॉ कौर बताती है, ‘हम जितना नकारात्मक विचार के बारे में न सोचने की कोशिश करते हैं, उतना ही ज्यादा सोचते हैं. हम उनसे दूर भागते हैं कि लेकिन उनके नजदीक पहुंच जाते हैं. इसका एक उपाय ये हो सकता है कि उस नकारात्मक विचार पर रचनात्मक तरीके से काम किया जाए, ताकि हम समस्या को सुलझा सकें. किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले विचार की पहचान करना सीखें.’ खुद से पूछें क्या ये विचार सही है? क्या ये मददगार होगा? इस तरह आप सकारात्मक विचार पर पहुंच सकते हैं.

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