
उत्तराखंड
राजाजी टाइगर रिजर्व से लापता बाघिन की सेटेलाइट रेडियो कॉलर काम नहीं करने के चलते लोकेशन नहीं मिल पा रही है। अधिकारियों के मुताबिक, बाघिन टाइगर रिजर्व में रहने की आदी हो गई थी। ऐसे में उसके गले में लगाए गए रेडियो काॅलर को बदलने की जरूरत महसूस नहीं की गई। लेकिन, वन्यजीव विशेषज्ञों की इस प्लानिंग को गच्चा देकर बाघिन 23 दिन से लापता है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. समीर सिन्हा का कहना है कि वर्ष 2020 में जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व से राजाजी टाइगर रिजर्व लाई गई बाघिन के गले में सेटेलाइट रेडियो कॉलर लगाया गया था। इसके जरिये उसकी निगरानी की जा रही थी। एक साल तक उसकी हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी गई। लेकिन, सेटेलाइट रेडियो कॉलर में लगी बैटरी सिर्फ एक साल तक काम करती है। ऐसे में एक साल बाद बैटरी ने काम करना बंद कर दिया होगा। लेकिन, लापता बाघिन के मामले में इसकी जरूरत नहीं थी। बाघिन की खोजबीन की जा रही है। एपीसीसीएफ (वन्यजीव इंटेलीजेंस) रंजन मिश्रा की अगुवाई में टीम तमाम पहलुओं की जांच कर रही है।