आज का इतिहास: करगिल पर हमारी विजय,भारतीय सैनिकों के पराक्रम ने पाकिस्तान को भागने पर किया था मजबूर

इतिहास

भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा संघर्ष विभाजन के बाद से ही जारी है। आए दिन एलओसी पर गोलीबारी होती रहती है। दोनों देशों का सैन्य बल कश्मीर के लिए संघर्षरत रहता है। ये संघर्ष आज का नहीं, इसके पहले भी भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध हो चुका है।

करगिल विजय दिवस

1999 में भारतीय सेना ने करगिल के युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। भारत की इस जीत और सैनिकों की वीरता को याद करने के लिए हर साल इस दिन करगिल विजय दिवस मनाया जाता है। इस लड़ाई की शुरुआत तब हुई, जब पाकिस्तानी सैनिकों ने करगिल की ऊंची पहाड़ियों पर चुपचाप कब्जा कर अपने ठिकाने बना लिए थे। 8 मई 1999 को करगिल की आजम चौकी पर पाकिस्तान के करीब 12 जवानों ने कब्जा कर लिया था। इन पाकिस्तानी सैनिकों को एक भारतीय चरवाहे ने देख लिया था। इस चरवाहे ने भारतीय सेना के जवानों को पाकिस्तानी सैनिकों के घुसपैठ की सूचना दी। इस तरह भारत को पहली बार घुसपैठ की जानकारी मिली। अभी तक भारत समझ रहा था कि थोड़े बहुत आतंकियों ने ही कश्मीर की घाटी पर कब्जा किया है, इसलिए भारत ने चंद सैनिकों को ही इन्हें खदेड़ने के लिए भेजा। जब भारतीय सेना पर अलग-अलग चोटियों से जवाबी हमले हुए तब पता चला कि ये एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। तत्काल भारतीय रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने अपना रूस दौरा रद्द कर दिया। भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय की तैयारी शुरू की। पाक सैनिक ऊंची पहाड़ियों पर बैठे थे, इस वजह से भारतीय सैनिकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। भारतीय जवानों ने दुश्मन की नजर से बचने के लिए रात में मुश्किल चढ़ाई की। शुरुआत में भारतीय सेना को इसी वजह से खासा नुकसान उठाना पड़ा। इस युद्ध में वायुसेना और नौसेना की भी बड़ी भूमिका रही। वायुसेना ने मिग-29 और मिराज – 2000 विमानों के जरिए पाक सैनिकों पर बम बरसाए। इस दौरान पाकिस्तान ने हमारे दो लड़ाकू विमान मार गिराए थे जबकि एक क्रैश हो गया था।

करगिल युद्ध का इतिहास

भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच सीमा विवाद के कारण 1999 में कारगिल का युद्ध छिड़ गया। पाकिस्तान की सेना ने भारतीय क्षेत्र कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया, बदले में भारतीय सेना ने “ऑपरेशन विजय” को अंजाम दिया। 

60 दिन करगिल का युद्ध

भारत के जबांज सैनिकों ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ते हुए टाइगर हिल और अन्य चौकियों पर कब्जा कर लिया। भारत पाक के बीच ये जंग लद्दाख के कारगिल में 60 दिनों से अधिक समय तक जारी रही। 2 लाख भारतीय सैनिकों ने युद्ध में हिस्सा लिया। 

भारतीय सेना की करगिल शौर्य गाथा

सेना के मिशन को सफल बनाने के लिए कई वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी, जिसने से एक कैप्टन विक्रम बत्रा भी हैं। 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने युद्ध में विजय की घोषणा कर दी। करगिल युद्ध में भारतीय सेना के 527 सैनिकों की शहादत के साथ पाकिस्तान के 357 सैनिकों ने भी जान गंवाई।

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