सामाजिक सरोकार, अनकही – ललित पहाडी

सामाजिक सरोकार , अनकही – ललित पहाडी

डॉ लोहिया ने कहा था कि अगर सड़के खामोश हो गयी तो संसद आवारा हो जायेगी.

वर्तमान परिपेक्ष्य में यह कहावत भारत पर सटीक बैठती है। क्योंकि हमने सड़‌कों से मुँह मोड लिया है, न हम खुद सड़क पर बैठना चाहते और न ही सड़क पर बैठे लोगों का समर्थन करते हैं, हाल ही में सोनम वांगचुक ने अपना 21 दिन का लद्‌दाख की जलवायु के लिए अपना अनशन समाप्त किया, जिस पर आम – आदमी के मुंह पर ताला तो था ही साथ ही साथ मीडिया ने भी अपना कोई खास समर्थन उनको नहीं दिया। यही हाल छ‌त्तीसगढ़, के 170,000 हेक्टेयर में फैले हसदेव के जंगल के विनाश किए जाने पर किसी के मुंह से चूँ तक नहीं निकली. आज हमारी जल, जंगल, जमीन पर धीरे-धीरे कॉरपोरेटरों का कब्जा होता जा रहा, कोई इसकी सुध लेने को तैयार नहीं वो दिन दूर नहीं जब आपको साँस लेने के लिए भी कारपोरेटरों की ओर ही
देखना पड़ेगा, और यही कार्य हमारी चुनी हुयी सरकार के द्वारा बखू‌बी किया जा रहा है . जो धीरे – धीरे प्राकृतिक संसाधनो को कारपोरेटरों के हाथों मे सौपे जा रही है। हम देश के उस भाग से आते है, जहां हमारे पूर्वजों ने अपने जंगलों को बचाने के लिए पेडों पर लिपटकर चिपको आंदोलन को पूरी दुनिया में मिसाल के तौर पर पेश किया, तो क्या ये सव आन्दोलन अब हमारी कितावों तक ही सीमित रह गए हैं। शायद ऐसा नहीं होना चाहिए अगर आप चुप हैं तो आप कहीं-न-कहीं झूठ के साथ खडे हैं . आज हमे गौरा देवी और सुन्दरलाल बहुगुणा जैसे लोग नजर नहीं आते, जिन्होंने सरकारो के सामने कभी घुटने नहीं टेके, इसलिए आज हमको सङ्‌क पर बैठने और सङ्‌क पर बैठे लोगों का समर्थन करने की जरूरत है। सोनम् वांगचुक और हसदेव जंगल के लिए धरने पर बैठे,लोगों को
समर्थन देने की जरूरत है.

हसदेव अरण्य क्या है?


हसदेव अरंड मध्य भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में एक जंगल है। यह जंगल 170,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला है और यह विविध पारिस्थितिकी और गोंड जैसे आदिवासी समुदायों का घर है। यह छत्तीसगढ़ के उत्तर में हसदेव अरंड कोयला क्षेत्र के शीर्ष पर है। भारत सरकार ने कोयला खनन का प्रस्ताव रखा है, जिससे जंगल नष्ट हो जायेंगे।

भूख हड़ताल पर क्यों बैठे सोनम वांगचुक?

लद्दाख को राज्य का दर्जा दिए जाने और उसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर 21 दिनों से धरने पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी है. हालांकि 21 दिनों तक नमक और पानी पर जीवित रहने के बाद, प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक ने कहा कि उनकी लड़ाई जारी रहेगी.
इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लोगों से किए वादे पूरा करने की अपील की. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किए एक वीडियो में कमजोर दिख रहे वांगचुक ने लद्दाख के लोगों से राष्ट्र हित में इस बार ‘सावधानीपूर्वक’ अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने का आह्वान किया.

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