
हरिद्वार – आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत देशभर में 75 स्थानों पर नगर वन का उद्घाटन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा किया गया । इसी के तहत उत्तराखंड में देहरादून और हरिद्वार सहित देश के 75 स्थानों पर नगर वनों की स्थापना की गई। नगर वन के तहत हरिद्धार वन प्रभाग की हरिद्धार रेंज स्थित गंगा वाटिका को नगर वन का दर्जा दिया गया है। लगभग 4 हेक्टेयर भूमि पर स्थित यह स्थान पहले से ही रमणीक है और अब इसे और व्यवस्थित किया गया है। दिल्ली से लाइव स्ट्रीमिंग के तहत आयोजित इस कार्यक्रम का केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्री ने शुभारम्भ किया। हरिद्वार में वन मंत्री सुबोध उनियाल, परमार्थ निकेतन से स्वामी चिदानंद मुनि महाराज सहित वन महकमे के आला अफसरो ने इस कार्यक्रम के माध्यम से लोगो को पर्यावरण बचाने व पौध रोपण को प्रोत्साहित किया। साथ ही 75 रुद्राक्ष के पौधों का रोपण कर इस नगर वन की विधिवत शुरुआत भी की।

“आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर देश के 75 स्थानों पर प्रधानमंत्री की नगर वन की अवधारणा को धरातल पर उतारने का काम हो रहा है ।कुल मिलाकर नगर वन बनाने का उद्देश्य है कि लोगों के अंदर एक जागरूकता भी आए और इन वनों की नैसर्गिक सुंदरता का भी लोग फायदा भी उठाएं । खास तौर से मेडिटेशन के लिए इसमें जैपनीज टेक्निक मियाबाकी की अवधारणा पर इसका निर्माण किया गया है, और भविष्य में इसमें रुद्राक्ष वन के रूप में भी विकसित किया जाएगा , हरिद्वार का जो महत्व है और देश दुनिया के लोगों का रोजगार के प्रति जो एक श्रद्धा है इस रुद्राक्ष वन के माध्यम से भी यात्रियों को आकर्षित करने में सफल होगा यहां पर आने वाले यात्रियों को नैसर्गिक सुंदरता देखने को मिलेगी , कई ट्रेल्स है यहां पर बनाई गई है इसके अलावा योग के लिए इतनी नैसर्गिक सुंदरता की जगह आपको कहां मिलेगी मेडिटेशन के लिए और हरिद्वार के लोगों के लिए भी यह एक वरदान साबित होगा।”
सुबोध उनियाल, वन मंत्री उत्तराखंड।

“सरकार का यह प्रयास मील का पत्थर साबित होगा। हरिद्धार में मौजूद इस वन की थीम रुद्राक्ष रखी गयी है, हरिद्वार धर्म व अध्यात्म का नगर है और रुद्राक्ष इससे जुड़ा हुआ है, लोग इस वन में पँहुच रुद्राक्ष के धार्मिक महत्व के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे, लगभग 3 या 4 साल में रुद्राक्ष इन पर लगना शुरू हो जाएंगे यह बहुत ही बढ़िया पॉइंट ऑफ एक्सट्रैक्शन हो जाएगा आने वाले यात्रियों के लिए और यहां की स्थानीय जनता के लिए वह लोग भी परिवार के साथ शाम को आ सकते हैं इसका भ्रमण कर सकते हैं”