युवाओं की रगों में नशे के सौदागर घोल रहे जहर, देश के भविष्य संग खिलवाड़ की गवाह ये तस्वीरें

उत्तराखंड

उत्तराखंड राज्य गठित होने के बाद से राज्य में तमाम नए शिक्षण संस्थान और औद्योगिक संस्थान खुले हैं। एकाएक यहां बाहर से आने वाले लोगों की संख्या में भी इजाफा होने लगा है। पढ़ने लिखने के लिए देशभर के युवाओं ने भी उत्तराखंड के कई शहरों का रुख किया। इन सबके बीच नशे के सौदागरों ने भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए।देवभूमि उत्तराखंड की गलियों में नशे के सौदागर युवाओं की नसों में जहर घोल रहे हैं। इसकी तस्दीक पुलिस की हाल के वर्षों में हुई कार्रवाई भी कर रही है। पुलिस ने करीब ढाई साल में चार हजार से ज्यादा नशा तस्करों को गिरफ्तार कर भारी मात्रा में नशीले पदार्थ बरामद किए, लेकिन इस सख्ती के बावजूद नशा तस्करी के मामले भी बढ़ रहे हैं। 

पुलिस भी कार्रवाई करती रही, लेकिन इनकी संख्या में कमी आने के बजाय इजाफा होने लगा। पुलिस की कार्रवाई पर गौर करें तो वर्ष 2020 में राज्य में नशा तस्करी के 1282 मुकदमे दर्ज किए गए। इनमें 1490 तस्करों को गिरफ्तार किया गया। अगले वर्ष 2021 में मुकदमों की संख्या में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई। राज्य में 1802 मुकदमे दर्ज हुए। इनके तहत पुलिस ने 2165 नशा तस्करों को जेल भेजा। वहीं, अगर इस वर्ष के शुरुआती पांच महीनों की बात करें तो 537 मुकदमे दर्ज कर पुलिस ने 669 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया। 

बीते करीब ढाई साल में पुलिस ने प्रदेशभर में कार्रवाई के दौरान 400 किलो यानी चार क्विंटल से भी अधिक चरस बरामद की, जबकि स्मैक 37 किलो से अधिक बरामद की गई। इनमें एसटीएफ की बढ़ी कार्रवाइयां शामिल हैं। इसके अलावा गांजा, डोडा, भांग अफीम की मात्रा अलग है। इस बीच नशीले कैप्सूल और गोलियों व इंजेक्शनों को भी बड़ी मात्रा में बरामद किया गया है। 

राजधानी में तस्करों का सबसे बड़ा लक्ष्य रहता है। यहां पर शिक्षण संस्थानों को निशाना बना तस्कर बड़ी मात्रा में धंधे को बढ़ा रहे हैं। हालांकि, बीते छह माह की बात करें तो देहरादून पुलिस ने 224 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से चरस, गांजा, अफीम, स्मैक और नशीली दवाइयां बरामद की गई हैं। 

एसटीएफ ने पिछले साल नशे के धंधे पर चोट करते हुए बरेली के एक परिवार के कई सदस्यों को स्मैक तस्करी के आरोप में पकड़ा था। इसके बाद पहली बार प्रदेश में ऐसी कार्रवाई हुई, जिससे तस्करों के हौसले पस्त हुए थे। बरेली के इस परिवार की करोड़ों की संपत्ति को जब्त किया गया। साथ ही उनके खिलाफ अन्य अधिनियमों में भी सख्त कार्रवाई की गई। 

पुलिस ने बड़ा कदम उठाते हुए अब एनडीपीएस एक्ट के तहत तस्करों की नजरबंदी भी शुरू कर दी है। पिछले दिनों एक समिति का गठन किया गया है। पीआईटी एनडीपीएस एक्ट के तहत इस कार्रवाई को किया जाता है। इसके अनुसार यदि कोई बार-बार इस नशा तस्करी में पकड़ा गया, तो उसे एक अवधि के लिए नजरबंद किया जा सकता है। बीते दिनों एसटीएफ ने देहरादून निवासी तस्कर को नजरबंद किया था। 

नशा तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए अब राज्य स्तर पर एडीटीएफ यानी एंटी ड्रग्स टास्क फोर्स का गठन किया जा रहा है। शासन स्तर पर भी निर्णय लिया जा चुका है। जल्द ही कॉपी पुलिस को मिल जाएगी। इसके बाद फोर्स में कर्मियों को तैनात किया जाएगा। अभी तक बड़े मामलों में एसटीएफ कार्रवाई करती थी। अब एडीटीएफ भी एसटीएफ के अंतर्गत कार्रवाई को अंजाम देगी। 

पुलिस नशा तस्करी पर लगातार कार्रवाई करते हुए नियमानुसार तस्करों की नजरबंदी भी शुरू हो गई है। पुलिस और एसटीएफ इस पर काम कर रहे हैं। राज्य में नशा तस्करी को खत्म करने के लिए पुलिस प्रयास कर रही है। एनसीबी के साथ मिलकर भी वर्कशॉप की गई हैं। अब एडीटीएफ का राज्य स्तर पर गठन भी किया जा रहा है। – अशोक कुमार, पुलिस महानिदेशक

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