
जीएसटी काउंसिल की सिफारिशें मंगलवार से लागू होने के बाद आटा, चावल, दही और पनीर समेत रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम बढ़ जाएंगे। इस नई व्यवस्था के दायरे में दुकानदार नहीं आएंगे, लेकिन इसकी मार आम आदमी पर पड़ेगी। हालांकि, जीएसटी के दायरे में डिब्बा बंद और पैकेट बंद फूड ही आएंगे, जिसकी वजह से कहीं न कहीं रसोई के बजट पर असर पड़ना तय है।जीएसटी काउंसिल की सिफारिशों के दायरे में खुला दूध, दही और पनीर बेचने वाले नहीं आएंगे। उधर, व्यापारियों ने कहा कि ठीक है इसका असर हम पर नहीं पड़ेगा, लेकिन बिक्री जरूर प्रभावित होगी।
केंद्र सरकार ने पैकेट बंद, डिब्बा बंद, लेबल युक्त (फ्रोजन को छोड़कर) मछली, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सोयाबीन, मटर, गेहूं का आटा, गुड़ सहित अन्य अनाजों को जीएसटी के दायरे में लाया गया है। व्यापारियों ने अनाज पर जीएसटी लगाने का विरोध किया है। व्यापारियों ने इसे वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि इससे दोबारा से इंस्पेक्टर राज शुरू हो जाएगा और व्यापारियों का उत्पीड़न बढ़ेगा।
पहले खाद्य तेलों के दाम में बढ़ोतरी, फिर घरेलू गैस सिलिंडर, अब पैकेट बंद अनाजों को जीएसटी के दायरे में लाने पर महिलाओं ने ऐतराज जताया है। महिलाओं का कहना है कि एक साल से लगातार बढ़ रही महंगाई के कारण गृहस्थी चलाना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने अगर यही हाल रहा तो गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए घर का राशन जुटाना मुश्किल हो जाएगा।