
उत्तराखंड के हल्द्वानी के एक साधारण से परिवार के बेटे के साथ, अब सीधे चांद से बातें करने वाले हैं. वह भी नासा के सीनियर साइंटिस्ट के तौर पर. जी हां, हल्द्वानी के रहने वाले शिक्षक विपिन चंद्र पांडे और उनकी पत्नी सुशीला पांडे वो खुशकिस्मत माता-पिता हैं, जिनके बेटे अमित पांडे आज विश्व की सबसे बड़ी स्पेस यानी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का हिस्सा हैं. कभी उत्तराखंड के हल्द्वानी तो कभी यूपी के रायबरेली और बीएचयू में पढ़े-लिखे अमित नासा के बहुप्रतिक्षित मून प्रोग्राम आर्टेमिस मिशन का हिस्सा बने हैं. अमित के पिता विपिन चंद्र पांडे ने बताया कि उनके एक बेटा, एक बेटी हैं और दोनों पीएचडी हैं. पांडे ने बताया, अमित इस समय अमेरिका में अपने परिवार के साथ हैं. अमित की पत्नी एक डॉक्टर हैं और उनकी एक बेटी है.रायबरेली के सेंट्रल स्कूल से अमित ने इंटरमीडिएट किया और फिर साल 2002 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से आईटी इंजीनियरिंग में बीटेक. इसी दौरान उन्होंने विदेशी स्कॉलरशिप के लिए होने वाली परीक्षा जीआई और टॉफेल को पास कर लिया. अमित को इसी परीक्षा के ज़रिये अमेरिका की प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी ऑफ ऐरीजोना से एमएस (मास्टर इन साइंस) करने का मौका मिला. दो साल एमएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मेरीलैंड से पीएचडी का फैसला किया.पांच साल तक पीएचडी की पढ़ाई करने के बाद अमित ने अमेरिका की कई मल्टीनेशनल कंपनियों में काम किया. इसी दौरान उन्हें लॉकेट मार्टेन नाम की कंपनी में काम करने का मौका मिला. यह कंपनी नासा के लिए अंतरिक्ष यान बनाने का काम करती है. यहां से अमित के लिए नासा और नासा के ज़रिये चांद का दरवाज़ा खुल गया.इसी कंपनी में काम करते हुए अमित का सिलेक्शन एक एग्जाम के जरिए नासा में हो गया. अब अमित नासा के एक सीनियर साइंटिस्ट हैं. उनके पिता बताते हैं कि अमित नासा के मून प्रोग्राम आर्टेमिस मिशन का हिस्सा हैं. इस मिशन के ज़रिये चांद पर ऐसा घर बनाने की कोशिश है, जिसमें रहकर साइंटिस्ट चंद्रमा पर शोध कर सकें और उन्हें बार-बार धरती पर न आना पड़े.