
उत्तराखंड
हिमस्खलन में बाल-बाल बचे निम के प्रशिक्षक अनिल कुमार ने हादसे की कहानी कुछ ऐसे बयां की। बकौल अनिल…‘मंगलवार को जो हुआ उसकी कोई उम्मीद नहीं थी। मौसम बिल्कुल साफ था। सभी लोगों ने सुबह करीब चार बजे से चढ़ाई शुरू की थी। अनुमान था कि आठ बजे तक चोटी पर पहुंचने के बाद हम उतरना शुरू कर देंगे। सब रस्सी के सहारे आगे बढ़ रहे थे। अचानक करीब 100 मीटर बर्फ का हिस्सा टूट कर गिर पड़ा और सभी उसकी चपेट में आ गए। दल के सदस्य 50 मीटर गहरे क्रेवास (बर्फीली खाई) में गिर गए। मैं सबसे आगे थे और मेरे पीछे प्रशिक्षक गिरीश थे। गिरीश ने घटना के दो मिनट बाद रस्सी काटी और रेस्क्यू में जुट गए। उन्होंने खाई में फंसे साथियों को निकालना शुरू किया। दल के 6-7 सदस्य भी बचाव में जुट गए और कुछ साथियों को बाहर निकाल लिया।
अनिल को दूसरी बार मिला नया जीवन
द्रौपदी का डांडा हिमस्खलन हादसे में सकुशल बचे निम के प्रशिक्षक अनिल कुमार को दूसरी बार नया जीवन मिला है। वे वर्ष 2010 में भी हिमस्खलन में फंस चुके हैं। इस घटना में 18 लोगों की मौत हुई थी। राजस्थान निवासी अनिल कुमार पिछले चार साल से नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) में प्रशिक्षक के तौर पर तैनात हैं। वे 21 वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। अनिल ने बताया कि वर्ष 2010 में गुलमर्ग में एक ऐसे ही प्रशिक्षण अभियान के दौरान वे हिमस्खलन में फंस गए थे। तब दल में कुल 250 लोग थे। हादसे में 18 लोगों की मौत हुई थी।