सकारात्मक विचार:- स्वामी विवेकानंद के ये कोट्स आपको पॉजिटिव एनर्जी से भर देंगे

सकारात्मक विचार

भारत वर्ष ऐसा देश है, जहां पर ऐसे सैकड़ो महापुरूष पैदा हो चुके हैं, जो अपने विचारों व जीवन से पूरे विश्‍व को बहुत कुछ सीखाया। इन महापुरूषों के विचार व बोल ऐसे हैं कि निराश व्यक्ति भी अगर उसे पढ़े तो उसे जीवन जीने का एक नया मकसद मिल सकता है। इन्‍हीं में से एक हैं स्‍वामी विवेकानंद। उनका जन्‍म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था, स्‍वामी विवेकानंद नाम उनको उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस ने दिया था।स्‍वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मलेन में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया तथा वेदांत दर्शन का प्रसार पूरे विश्व में किया। बाद में समाज के सेवा कार्य के लिए रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।

1. उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये।
2. ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमारे अंदर हैं। यह हम ही हैं जिन्होंने अपनी आंखों के सामने हाथ रखा है और रोते हुए कहा कि अंधेरा है।
3. किसी की निंदा ना करें, अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।

4. बाहरी प्रकृति केवल आंतरिक प्रकृति बड़ी है।
5. सच को कहने के हजारों तरीके हो सकते हैं और फिर भी सच तो वही रहता है।
6. इस दुनिया में सभी भेद-भाव किसी स्तर के हैं, ना कि प्रकार के, क्योंकि एकता ही सभी चीजों का रहस्य है।

7. जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।
8. जितना हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं उतना ही हमारा हृदय पवित्र हो जाता है और भगवान उसमें बसता है।
9. यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।

10. कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है, ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है, अगर कोई पाप है, तो वो यही है, ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं।
11. अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है।
12. जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये, नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।

13. उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता।
14. हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।
15. जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते।

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